इंटरव्यू/ देश में जो लोग योग को अपना रहे हैं, वे खुद को दवामुक्त कर रहे हैं: डॉ. नागेन्द्र

नागेन्द्र अबतक योग से जुड़ी 35 किताबें और 100 से ज्यादा रिसर्च कर चुके हैं। जिसके लिए साल 2016 में मोदी सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित भी किया था।

0
1228

बेंगलूरु स्थित स्वामी विवेकानंद योग अनसुंधान संस्थान (वयासा) के संस्थापक और पीएम नरेंद्र मोदी के योग गुरु  डॉ. एच.आर. नागेन्द्र योग के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम है। डॉ. नागेन्द्र अबतक योग से जुड़ी 35 किताबें और 100 से ज्यादा रिसर्च कर चुके हैं। जिसके लिए साल 2016 में मोदी सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया था। नागेंद्र वर्तमान में सरकार में कई समितियों के प्रमुख हैं। जैसा की आप जानते हैं भारत में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े पैमाने मनाया जाना है। इसी संदर्भ में हाल ही में डॉ. एच.आर. नागेन्द्र से खास बातचीत हुई जिसके मुख्य अंश-

सवाल: आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के योग गुरू के नाम से कैसे जाने जाते हैं, इसके बारें में कुछ बताएं ?
जवाब: तीन दशकों से भी अधिक समय से मैं उनके साथ जुड़ा हुआ हूं। पहली बार, 1987 में वह बेंगलुरु में प्रशांति कुटीरम, विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान (वयासा) आए थे। वयासा एक पंजीकृत चेरीटेबल संस्थान (1986) है, जो योग को सामाजिक रूप से प्रासंगिक विज्ञान बनाने की दिशा में प्रतिबद्ध है। यह स्वामी विवेकानंद के उपदेशों की बुनियाद पर बना है। इसमें योग की चार धाराएं हैं। साथ में, विविधता में एकता, भारतीय संस्कृति का मूल तत्व, दुनिया भर में शांति, सौहार्द लाने और स्वास्थ्य-लाभ के लिए योग का उपयोग इसमें समाहित है। 30 से भी ज्यादा देशों में यह फैल चुका है। वयासा का मकसद पूरब की श्रेष्ठता (योग और अध्यात्म) को पश्चिम के आधुनिक वैज्ञानिक शोध से जोड़ना है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे इस दृष्टिकोण से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने योगाभ्यास किया। वहीं से हमारा साथ चला आ रहा है।

सवाल: क्या अभी भी प्रधानमंत्री मोदी आपसे स्वास्थ्य संबंधी सलाह लेते हैं?
जवाब:
जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि उन्होंने वयासा में योगाभ्यास शुरू किया। वह स्वामी विवेकानंद द्वारा बताए गए योग के एकीकृत अभ्यास का अनुसरण करते हैं, जो वयासा में सिखाया जाता है।

पीएम मोदी के साथ

सवाल: आपने इंजीनियरिंग की, नासा और हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े तो आपका योग के प्रति झुकाव कब और कैसे आया? कोई खास वजह।

जवाब: नासा और हॉर्वर्ड के दिनों में मैं सच को लगातार ढूंढ़ता रहा, जीवन के मर्म को समझने की कोशिश करता रहा। उसी दौरान मैंने उपनिषद् को भी पढ़ा, जिसने मुझे सही दिशा दी। वह आध्यात्मिक दिशा, जो मुझे मैकनिकल इंजीनियरिंग से मानव इंजीनियरिंग की तरफ लेकर आई।

सवाल: योग को लेकर भारत का दृष्टिकोण कैसा है? अबतक का आपका अनुभव क्या कहता है।
जवाब: योग भारत में सही आयाम, सही दृष्टिकोण के साथ फल-फूल रहा है। योग को प्रसारित-प्रचारित करने के लिए भारत में बहुत कुछ हो रहा है। इसके कई उदाहरण हैं। उनमें से एक वर्ल्ड असेंबली ऑन आयुर्वेद, योग और नैचुरोपैथी (7-10 नवंबर, 2019) भी है, जो ग्रेटर नोएडा में आयोजित होने वाला है। इस महा-आयोजन का मकसद हमारे पारंपरिक ज्ञान, प्राचीन ज्ञान के खजाना को दुनिया के सामने लाना है और साथ ही, इसको आधुनिक विज्ञान से जोड़ना है, जिससे मानव समाज का कल्याण हो।

सवाल: साल में केवल एकबार लोगों से योगा करवाया जाता है फिर सब पहले जैसा। ऐसा क्यों? क्या आपको नहीं लगता भारत का एक बड़ा हिस्सा इससे अभी भी छूटा हुआ है। 

जवाब: मैं समझता हूं कि योगाभ्यास अपनाने की चीज है, चाहे वह शहर के लोग हों या गांव के। योग को लेकर जितनी जागरूकता फैले, उतना अच्छा और इसमें सरकार ही क्यों, सामाजिक संगठन, कारपोरेट संगठन और तमाम अंगों को भी आगे आना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और उसके प्रोटोकॉल देश-दुनिया के लोगों को सही दिशा दिखाने के लिए काफी हैं। जब संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था, तब इसका मकसद देश-दुनिया में योग के प्रति जागरूकता फैलाकर इसके लाभों को सबतक पहुंचाना था।

डॉ. एच आर नागेन्द्र

सवाल: आज का यूथ सबसे ज्यादा डिप्रेशन का शिकार है। उसके लिए कोई योगथैरेपी बताएं?
जवाब: युवा योग- अध्यात्म अपनाएं। रोज के कुछ घंटे इस तरफ दें। वे खुद को तनाव से दूर पाएंगे।

सवाल: क्या भारत योगथैरेपी से दवामुक्त बन रहा है? अगर हां तो कितना और किन-किन बीमारियों के उपाचार को लेकर?
जवाब: समझने की चीज यह है कि आज योग विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरकर आगे बढ़ रहा है, न कि अंधविश्वास के आधार पर और विज्ञान यह कहता है कि योग से कई सारी शारीरिक-मानसिक बीमारियों का इलाज संभव है। देश में जो लोग योग को अपना रहे हैं, वे खुद को दवामुक्त भी कर रहे हैं।

बाबा रामदेव के साथ डॉ नागेन्द्र

सवाल: लोग योग शिक्षक बनना चाहते हैं उनके लिए देश में कोई सर्टिफाइड संस्था है? जो योगा में करियर बनाने वालों के लिए मानक तय करती हो?

जवाब: हां। इसी को ध्यान में रखते हुए आयुष मंत्रालय ने योग सर्टिफिकेशन बोर्ड का गठन किया। मार्च, 2018 में इसका गठन हुआ , जिसे कामकाजी तौर पर स्वायत्त रखा गया है। मोरारजी देसाई योग संस्थान केंद्र को इसकी देखरेख का जिम्मा मिला है। इस बोर्ड का काम है – योग को करियर के तौर पर बढ़ावा देना और देश-दुनिया में चालू योग पाठ्यक्रमों में समानता लाना।

सवाल: कुछ ऐसी खास जानकारी या संदेश जो आप हमारी पञ्चदूत पत्रिका के जरीए लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं?
जवाब: योग करें, निरोग रहें।

ताजा अपडेट के लिए लिए आप हमारे फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल को फॉलो कर सकते हैं