मोदी सरकार के कार्यकाल में ED ने पिछले साल दर्ज किए सबसे ज्यादा केस, पढ़िए ये काम की रिपोर्ट

मामला दर्ज किए जाने के बाद इसके तहत 8,109 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं तथा 6,472 मामलों में न्याय एवं निर्णय किया गया और लगभग 8,130 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया।

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नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के दौरान उपलब्ध कराए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में, प्रवर्तन निदेशालय ने 2021-22 वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) और विदेशी मुद्रा उल्लंघन (FEMA) के मामले दर्ज किए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के 1,180 और विदेशी मुद्रा उल्लंघन 5,313 मामले दर्ज किए गए हैं।

लोकसभा में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी। सदस्य ने पिछले 10 वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय के अधीन दर्ज मामलों का ब्योरा मांगा था।

अगर बात पिछले एक दशक की करें तो  2012-13 से 2021-22 के वित्तीय वर्षों के बीच, संघीय जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कुल 3,985 और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के नागरिक कानून के तहत 24,893 आपराधिक शिकायतें दर्ज की है।

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जानिए किस वर्ष कितने मामले हुए दर्ज-
ईडी ने वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान 221 मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज किए थे. इसने 209 केस (2013-14) में, 178 केस (2014-15) में, 111 केस (2015-16), 200 केस (2016-17) में, 148 केस (2017-18) में, 195 केस (2018-19) में, 562 केस (2019-20) में दर्ज किए वहीं 981 केस (2020-21) में और 1,180 मामले (2021-22) में दर्ज हुए हैं.  इसी तरह, फेमा मामलों की संख्या 1,722 (2012-13) में, 1,041 केस (2013-14) में, 915 (2014-15) में, 1,516 (2015-16) में, 1,993 (2016-17), 3,627 (2017-18) है. , 2,659 (2018-19), 3,360 (2019-20), 2,747 (2020-21) और 5,313 (2021-22)

31 मार्च 2022 तक, ईडी ने पीएमएलए के तहत 5,422 मामले दर्ज किए हैं और अपराध की आय 992 मामलों में कुल 1,04,702 करोड़ के लगभग रही है। इसके तहत 869.31 करोड़ रुपये की जब्ती हुई है और 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। बताते चलें कि 2002 में पीएमएलए को अधिनियमित किया गया था। वहीं पीएमएलए को 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया था।

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वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि मामला दर्ज किए जाने के बाद इसके तहत 8,109 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं तथा 6,472 मामलों में न्याय एवं निर्णय किया गया और लगभग 8,130 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके साथ फेमा के तहत लगभग 7,080 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं।

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