चद्रंविजय की और बढ़ता भारत, 17 मिनट चद्रंयान मिशन के सबसे अहम, देखें इसरो से सीधा LIVE

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चंद्रयान-3 (chandryaan-3) का लैंडर मॉड्यूल आज शाम चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसरो शाम 5:20 बजे से लाइव प्रसारण शुरु कर देगा। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने इन 17 मिनटों का महत्व समझाते हुए बताया कि विक्रम चांद की सतह से करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा जहां उसकी गति 1.68 किमी प्रति सेकंड होगी। यहां से लैंडर नीचे उतरने का प्रयास करेगा। चांद का गुरुत्वाकर्षण उसे अपनी ओर खींचेगा। थ्रस्टर इंजनों की रेट्रो फायरिंग करनी होगी जिससे इसकी गति कम होती जाए। लैंडर मॉड्यूल में ऐसे चार थ्रस्टर इंजन लगाए गए हैं।

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देसाई के अनुसार, लैंडर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर आएगा। इस दौरान गति 350 मीटर प्रति सेकंड होगी यानी यह चार गुना कम हो जाएगी। उसके बाद दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे। फिर लैंडर दो ही इंजन के साथ नीचे की ओर आएगा। ये दो इंजन लैंडर की डीबूस्ट थ्रस्ट देंगे।

लैंडर 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई से 800 मीटर की ऊंचाई तक आएगा। इस दौरान उसकी गति लगभग जीरो मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी। यानी, लैंडर फ्री फॉल करने लगेगा। उसके बाद सीधे 150 मीटर तक सीधे उतरेगा जिसे वर्टिकल डिसेंट कहते हैं। उसके बाद जो अन्य कैमरा और सेंसर लगाए गए हैं उसके इनपुट और रेफरेंस इमेजेस की तुलना करके यह निश्चित करेगा कि चांद पर जो घूम रहा है उसके सीधा नीचे उतरने से सही लैंडिंग कर पाएगा। यदि उसको लगता है कि अनुकूल नहीं है तो थोड़ा दायीं या बाईं ओर मुड़ेगा। लैंडर लगभग 60 मीटर तक जाएगा और उसके बाद सीधा नीचे उतरेगा।

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यानी कि करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से नीचे उतरने और गति को कम करने की पूरी प्रक्रिया के दौरान जो न्यूनतम समय निकलेगा वो 17 मिनट 21 सेकंड होगा। यदि लैंडर को थोड़ा खिसक कर उतरना पड़ा तो अधिकतम समय  17 मिनट 32 सेकंड होगा। देसाई बताते हैं कि हमारे लिए यही 17 मिनट भयावह होते हैं जिन्हें 17 मिनट्स ऑफ टेरर कहते हैं। इस दौरान गलती की आशंका रहती है। लेकिन इस बार हमनें फेल्योर से सबक लेते हुए सब कुछ डिजाइन किया है।

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