Chandigarh News: चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (सीसीपीसीआर) ने एक चार साल के बच्चे के मामले में उसके स्कूल और हेल्पलाइन 181 से रिपोर्ट मांगी है। 2 अगस्त को स्कूल की तरफ से शिकायत दी गई थी कि प्री-नर्सरी के इस बच्चे ने अपनी क्लास की बच्ची से छेड़छाड़ की है। इसकी रिपोर्ट तो एक-दो दिन में आ जाएगी, लेकिन इस बीच हर किसी के, खासकर माता-पिता के जेहन में सवाल है- ‘4 साल का बच्चा समझता भी है छेड़छाड़ क्या होती है’ या ‘उस बच्चे ने ऐसा क्या कर दिया’?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्चे के पिता के आरोप के मुताबिक प्रिंसिपल उस पर बच्चे को स्कूल से निकालने का दबाव बना रही हैं, इसलिए उसपर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया गया। डिप्टी कमीशनर और एजुकेशन सेक्रेटरी को शिकायत भेजी गई है। डीसी विनय प्रताप सिंह के मुताबिक वे मुद्दे की जांच कर रहे हैं और कोई भी निर्णय लेने से पहले पेरेंट्स और स्कूल को व्यक्तिगत रूप से सुनेंगे।
अब इस घटना को कैसे देखा जाए? क्या कानून की नजर में बच्चे का कोई अपराध भी है? स्कूल, प्रशासन और पेरेंट्स ऐसी स्थिति से कैसे निपटें? एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस पूरी घटना ‘क्या हुआ’ से ज्यादा यह जानना जरूरी है कि ‘क्यों हुआ’। यह जानना जरूरी है कि अबोध बच्चे ने ऐसा कुछ कर भी दिया तो क्यों किया। बच्चे के एक्सपाेजर से लेकर उसके बिहेविहर काे समझना होगा।
अहम बात निकलकर यह आई कि हो सकता है बच्चा खुद ऐसे अब्यूज का शिकार हो रहा हो, इसलिए उसने वही कर दिया जो उसके साथ कोई और कर रहा होगा। यह घटना भले एक बच्चे की बात हो लेकिन सबके लिए सबक है। वहीं एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि इस तरह से बच्चे को कोई लेबल देना सही नहीं। स्कूल काे इसे न्यायोचित ठहराना हाेगा। अगर उसने किया भी है ताे यह भविष्य के लिए एक वॉर्निंग है। स्कूल और पेरेंट्स बच्चों को उनकी बॉडी को लेकर समझाएं कि उचित और अनुचित ढंग से छूना क्या हाेता है। वहीं पिता की बात पर जाएं कि बेटे काे स्कूल से निकालने का दबाव बनाया जा रहा है, तो स्कूल की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह घटना का रिकाॅर्ड दिखाए।
7 वर्ष से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कृत्य अपराध नहीं
चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी के पूर्व चेयरपर्सन, मोहाली जेजे बोर्ड के पूर्व मेंबर और लॉयर नील रॉबर्ट कहते हैं कि हर देश का कानून क्रिमिनल लायबिलिटी की न्यूनतम उम्र तय करता है। हमारे देश में यह 7 साल है। आईपीसी 1860 की धारा 82 के मुताबिक 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कृत्य अपराध नहीं है।
यह मामला प्रॉसिक्यूशन के दायरे में नहीं आता। बच्चे ने ऐसा क्यों किया यह गंभीरता से समझने का विषय है। इसे कई पहलुओं से समझना हाेगा- क्या काेई बिहेवियर प्रॉब्लम है? उसका एक्सपोजर वैसा है कि वह फोन या कहीं और ऐसी चीजें देख रहा है? किसी ने उसके साथ तो ऐसा नहीं किया? ऐसे मामलों का हल सिर्फ काउंसिलिंग से निकाला जा सकता है।
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