पटना: बिहार में फैले जानलेवा ‘चमकी’ बुखार का कहर इतना बढ़ गया है कि लोगों ने गांव से पलायन कर शुरू कर दिया है। मुजफ्फरपुर के अलावा वैशाली के कई गांवों लोगों के पलायन की खबर आई है। इस बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या अबतक लगभग 144 के पार पहुंच गई है।
क्या है चमकी बुखार-
दिमागी बुखार या चमकी बुखार का दायरा बहुत विस्तृत है जिसमें अनेक संक्रमण शामिल होते हैं और यह बच्चों को प्रभावित करता है। यह सिंड्रोम वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के कारण हो सकता है। भारत में सबसे सामान्य तौर पर जो वायरस पाया जाता है उससे जापानी इंसेफलाइटिस (जापानी बुखार) होता है।स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार दिमागी बुखार के 5-35 फीसदी मामले जापानी बुखार वायरस के कारण होते हैं। अधिकतर बच्चों की मौतें हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर के कारण हुई हैं।
किन कारणों से फैलती है ये बीमारी-
उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों ही राज्यों में कुपोषण बहुत ही अधिक है और कुपोषित बच्चे जल्दी संक्रमित होते हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में होने वाली बच्चों की कुल मौतों में से 35 फीसदी उत्तर प्रदेश और बिहार में होती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के अनुसार, साल 2015-16 में पांच साल से कम उम्र के 48 फीसदी बच्चे बिहार में मौत का शिकार बन गए थे, जो भारत में सर्वाधिक था।
सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल, अटलांटा और वेल्लोर के क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज की एक टीम ने यह निष्कर्ष दिया था कि इन इलाकों में गर्मी, उमस, अस्वास्थ्यकर परिस्थितियां और कुपोषण मिलकर एईएस की वृद्धि का कारण बनते हैं। लीची के जिन बाग के आसपास कुपोषित बच्चे रहते हैं, वहां ये ज्यादा देखा जाता है। इसके अलावा बच्चों का धूप में खेलना, बिना पानी पीएं घंटों बीताना आदि के कारण गरीब और कुपोषित बच्चे इस बुखार की चपेट में है।
लक्षण-
मिर्गी जैसे झटके आना (जिसकी वजह से ही इसका नाम चमकी बुखार पड़ा)
2. बेहोशी आना
3. सिर में लगातार हल्का या तेज दर्द
4. अचानक बुखार आना
5. पूरे शरीर में दर्द होना
6. जी मिचलाना और उल्टी होना
7. बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना और नींद आना
8. दिमाग का ठीक से काम न करना और उल्टी-सीधी बातें करना
9. पीठ में तेज दर्द और कमजोरी
10. चलने में परेशानी होना या लकवा जैसे लक्षणों का प्रकट होना।
कैसे करे चमकी का इलाज-
जैसे ही चमकी बुखार के लक्षण दिखाई पड़ें वैसे ही बच्चे को मीठी चीजें खाने को देनी चाहिए। अगर संभव हो तो ग्लूकोज पाउडर या चीनी को पानी में घोलकर दें। जिससे कि रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ सके और मस्तिष्क को प्रभावित होने से बचाया जा सके। इसके बाद तुरंत अस्पताल ले जाएं।
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