प्राइवेट सेक्टर में होते हैं महिलाओं के साथ 50 फीसदी अपराध

कार्यस्थल पर कामकाजी महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के सबसे ज्यादा मामले बिहार में होते हैं। दूसरे स्थान पर दिल्ली और तीसरे पर महाराष्ट्र है।

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नई दिल्ली: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कामकाजी महिलाओं के लिए एक आम और बड़ी समस्या है। देश में हर दिन किसी न किसी ऑफिस में कोई न कोई महिला इस समस्या से सामना करती है। संसद में वर्कप्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार के उठाए गए कदमों के बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि 2017 में कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन शोषण से बचाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शी बॉक्स यानी सेक्सुअल हैरेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स बनाया था।

इसको लॉन्च करने के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं, केंद्र और राज्य सरकारों, संगठित या असंगठित सेक्टर में महिलाओं को किसी भी तरह के यौन शोषण से बचाया जा सके। दो साल बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस पोर्टल पर दर्ज हुई शिकायतों का आंकड़ा जारी किया है। इन आंकड़ों के मुताबिक 2017 से लेकर अब तक कार्यस्थल पर यौन शोषण के 612 दर्ज हुए। इनमें 196 मामले केंद्र सरकार और 103 केस राज्य सरकारों जुड़े सामने आए हैं। प्राइवेट संस्थानों में ये आंकड़ा 313 रहा। यानी कि करीब 50 फीसदी मामले प्राइवेट सेक्टर में हुए।

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बता दें, कार्यस्थल पर कामकाजी महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के सबसे ज्यादा मामले बिहार में होते हैं। दूसरे स्थान पर दिल्ली और तीसरे पर महाराष्ट्र है। बिहार- 73, दिल्ली – 56, महाराष्ट्र – 48, तेलंगाना – 46, कर्नाटक – 17 मामले दर्ज हुए।

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