राजस्थानी लोक गायक मांगे खान का निधन, कोक स्टूडियो से मिली थी पहचान

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मशहूर राजस्थानी लोक गायक मांगे खान (mangey khan) का बुधवार को निधन हो गया। मांगे खान 49 वर्ष के थे। बताया जा रहा है कि वो दिल की बीमारी से पीड़ित थे और हाल ही में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। अमरास रिकॉर्ड्स के संस्थापक आशुतोष शर्मा ने कहा, ‘मांगे के जाने से एक ऐसा खालीपन पैदा हो गया है, जिसे भरा नहीं जा सकता।

वह एक प्यारे दोस्त और एक बेहतरीन इंसान थे, जिनकी आवाज असाधारण थी। इतनी कम उम्र में उनका दुखद निधन न सिर्फ उनके परिवार और हमारे लिए नहीं, बल्कि संगीत जगत के लिए भी एक बहुत बड़ी क्षति है। एक ऐसी आवाज जिसे कभी नहीं बदला जा सकता।’

संगीतकार के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं। साथी बैंड सदस्यों सवाई खान और मगदा खान के साथ ‘बोले तो मिठो लागे’, ‘अमरानो’, ‘राणाजी’ और ‘पीर जलानी’ जैसे गीतों के लिए मशहूर खान ने देश और विदेश में अपनी गायकी के दम पर खूब नाम कमाया है।

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कोक स्टूडियो ने दी पहचान
छल्ला छल्ला’ और ‘पीर जलानी’, जैसे कई गानों को कोक स्टूडियो के जरिए नई पहचान मिली। इसके बाद गायक मांगे खान को घर-घर पहचाने जाने लगा।

कैसे शुरु हुई मांगे खान जर्नी
मांगे खान 2010 से अमररस रिकॉर्ड्स के साथ जुड़े हुए थे। वो पहली महिला मांगणियार गायिका रुकमा बाई के साथ परफॉर्म करने बाड़मेर के रामसर गांव गए थे जहां वो आशुतोष से मिले। तब बना बैंड बाड़मेर बॉयज जिसमें मंगा हारमोनियम बजाते थे और मुख्य गायक थे। इस बैंड में सवाई खान और मगदा खान भी शामिल थे। अमरास रिकॉर्ड्स के संस्थापक आशुतोष शर्मा ने बताया हमारी दोस्ती गांव से ही शुरु हुई थी। दुनिया के अलग-अलग कोनों डेनमार्क, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और इटली जैसे कई देशों में वो शोज किया करते थे।

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