पंजाबी सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) ने नए साल के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दिलजीत और पीएम की मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुकी है। इस मुलाकात से फिलहाल शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को रास नहीं आई है।
वहां मौजूद एक किसान ने कहा कि अगर दिलजीत को सच में किसानों की फिक्र होती तो वे शंभू बॉर्डर जाते। किसानों के लिए आवाज उठाते। यह सब करने की बजाय, पीएम मोदी से उनका मिलना कुछ सवाल खड़े करता है। दरअसल, दिलजीत दोसांझ कई मौकों पर किसानों को लेकर सरकार को घेर चुके हैं। 2020 में वे सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे, जहां किसान बिल को लेकर आंदोलन हो रहे थे। दिलजीत ने वहां सरकार को किसानों की सारी मांगे मानने की सलाह दी थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शंभू बॉर्डर पर मौजूद एक किसान ने कहा, ‘अगर दिलजीत को वाकई किसानों की परवाह होती, तो वे शंभू बॉर्डर पर डल्लेवाल जी के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आते, हमारी चिंताओं को सुनते और अपने पुराने बयानों पर कायम रहते। इसके बजाय, पीएम मोदी से मिलना उनके इरादों पर संदेह पैदा करता है।’ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 39 दिन से आमरण अनशन कर रहे हैं। डल्लेवाल फसलों की न्यूनतम खरीद मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए कानून की मांग कर रहे हैं।
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क्यों है दिलजीत और पीएम मोदी की मुलाकात चर्चा में
PM मोदी ने इस मुलाकात से यह मैसेज दिया है कि वे आलोचना करने वालों से भी मुलाकात करते हैं। दरअसल, दिलजीत दोसांझ युवाओं के बीच बहुत पॉपुलर हैं। दिलजीत के जरिए BJP युवाओं, सिखों और किसानों के दिलों में जगह बनाना चाहती है।’
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दिलजीत आए दिन किसी न किसी वजह से सरकार के खिलाफ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर बात करते थे। अभी कुछ दिन पहले अहमदाबाद के एक कॉन्सर्ट में उन्होंने शराब पर बने गानों को लेकर रिएक्शन दिया था। दिलजीत ने कहा कि अगर सरकार शराब को पूरी तरह बैन करती है, तो वे इस पर बने गाने गाना छोड़ देंगे। अभी दो दिन पहले लुधियाना में हुए कॉन्सर्ट में भी उन्होंने एल्होकल को प्रमोट करने वाले गाने गाए, जिसकी वजह से वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ एक्शन लेने की बात कर दी थी।
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दिलजीत के बहाने BJP का बड़ा प्लान
दरअसल, दिल्ली में सिख समेत पूरी पंजाबी कम्युनिटी के करीब 19% वोटर्स हैं। यहां करीब 5% आबादी सिख कम्युनिटी की है। दिल्ली की 70 में से 13 विधानसभा सीटों में सिख कम्युनिटी का प्रभाव है, जिनमें रजौरी गार्डन, नई दिल्ली, चांदनी चौक, तिलक नगर जैसी सीटें शामिल हैं। 2020 में BJP यहां केवल 8 सीटें जीत सकी। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी 6 सीटों पर काबिज हुई।
इसके अलावा पंजाब में करीब 58% आबादी सिख कम्युनिटी की है, जिनका प्रभाव पंजाब की सभी 117 विधानसभा सीटों पर है। किसान आंदोलन और अकाली दल के अलायंस से अलग होने के कारण BJP यहां कमजोर हुई है। 2022 में BJP यहां केवल 2 ही विधानसभा सीटें जीत पाई। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी।
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