देश के लिए हथियार बनाने वाले 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर क्यों चले गए?

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नई दिल्ली: देश इन दिनों आर्थिक मंदी के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव से भी गुजर रहा है। इस बीच खबर आई है कि देश की सैन्य जरूरतों को पूरा करनी वाले आयुध (गोला-बारूद) कारखानों के कर्मचारी 20 अगस्त से हड़ताल पर बैठ गए हैं। देश की 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों में काम कर रहे करीब 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हैं। राष्ट्रीय स्तर के तीन मजदूर संगठनों ने 20 अगस्त से 19 सितंबर तक एक महीने की लंबी हड़ताल शुरू करने का फैसला किया है।

इस हड़ताल में आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ का घटक भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक मजदूर संगठनों की रणनीति एक महीने तक उत्पादन ठप करने की है।

भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एमपी सिंह ने बताया कि इस हड़ताल में लेफ्ट हो या राइट सभी धड़ों के मजदूर संगठन भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंगलवार से आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में उत्पादन थम गया है। क्लास वन के अफसरों को छोड़कर कोई भी कर्मचारी मंगलवार से एक महीने तक कारखाने में नहीं घुसेगा। अगर बीच में सरकार बातचीत के जरिए मामला सुलझाती है तभी एक महीने की हड़ताल थम सकती है, नहीं तो संघर्ष जारी रहेगा।

क्या है मामला-
सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के साथ 16 अन्य संबद्ध कंपनियों का निजीकरण करने के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की अनुमति लेने की तैयारी की है। सरकार का विचार है कि निजीकरण से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इसके नतीजे में देश को अच्छा काम और अच्छी क्वालिटी का आयुध भी मिलेगा।

इससे पहले भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महासचिव मुकेश सिंह ने कहा था कि सरकार की ओर से आयुध कारखाने के निजीकरण की कोशिशें उस आश्वासन का उल्लंघन है, जो पूर्व में सरकार की ओर से दी गई थीं। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र ने आर्म्स रूल्स, 2016 के जरिए हथियारों के निर्माण में निजी क्षेत्र के भी उतरने का रास्ता तैयार कर रही है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के निजीकरण की कोशिशों को सरकार की इन्हीं कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है।

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