बिना संबंध बनाए मां बन रहीं कुंवारी लड़कियां, देखिए ये तस्वीरें

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इंटरनेशनल डेस्क: टूटते बनते रिश्तों के बीच आजकल कम लोग ही अपनी शादियों को चला पाने में सफल हो रहे हैं। जैसा कि अभी हाल ही के सर्वे में निकलकर सामने आया है। यूके के एक अखबार की खबर के अनुसार, महिलाओं के बीच वर्जिन बर्थ प्रक्रिया का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।  महिलाएं अब शादी जैसे बंधन में ना बंधकर लिव-इन में रहना पसंद करती हैं और ऐसे में वह मां बनना चाहती हैं लेकिन बिना अपनी वर्जिनिटी खोए। दरअसल, इस प्रक्रिया में महिलाएं बिना किसी पुरुष से संबंध बनाए बच्चों को जन्म दे सकती हैं और इस पूरे प्रोसेस को मेडिकल साइंस में वर्जिन बर्थ नाम दिया है।

खबर के मुताबिक, ये सर्वे 25 से ज्यादा महिलाओं पर किया गया। वर्जिन बर्थ का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का कहना है कि उन्होंने ऐसा फैसला इसलिए लिया क्योंकि अभी तक उन्हें सही पार्टनर नहीं मिला है। हालांकि कुछ लड़कियों का कहना था कि उन्हें सेक्स को लेकर कोई रुचि नहीं है। वहीं, कईयों के मन में सेक्स को लेकर डर है लेकिन वह लिव इन में रहकर मां बनने का सुख भोगना चाहती हैं।

बता दें कि आईवीएफ (IVF) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के अंडेदानी से अंडे निकालने के बाद सभी अण्डों में स्पर्म डालकर अम्ब्र्यो बनाया जाता है। इन अम्ब्र्योज को 3-5 दिन तक परखनली में बड़ा कर फिर इन्हें महिलाओं की कोख में डाल दिया जाता है।

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नेशनल गैमेट डोनेशन ट्रस्ट के चीफ एग्जेक्युटिव लौरा विटजेंस बताते हैं, ‘जब सिंगल महिलाएं इस तरह से मां बनने के लिए आगे बढ़ने लगी तो समाज में बहुत कुछ बदल जाएगा ये एक तरह से भूकंप की तरह होगा। उन्होंने कहा, महिलाओं को अधिकार है कि वह अपने हिसाब से अपने रास्ते का चुनाव कर सकें। अगर वह ऐसा चाह रही है तो उन्हें पूरा हक है। लेकिन डॉक्टर्स की जिम्मेदारी है कि वह इस बात को समझने की कोशिश करें कि कोई महिला ऐसा कदम क्यों उठाना चाह रही है और उनकी मदद करें। कुछ प्रक्रिया नेचुरल रहे तो बेहतर है जिसमें मां बनना भी एक जरूरी प्रक्रिया है और शादी भी।

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2013 में हुए एक सर्वे के मुताबिक, अमेरिका में 200 में से एक महिला बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स के गर्भवती हुई। इन महिलाओं में से 31 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने धार्मिक कारणों से अपनी पवित्रता को बनाए रखने और सेक्स नहीं करने की प्रतिज्ञा की है। इनमें से 28 प्रतिशत लड़कियों के अभिभावकों ने कहा कि वह मुश्किल से ही अपनी बच्चियों से सेक्स या कंट्रासेप्शन के बारे में बात करते हैं।

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पोप फ्रांसिस ने पारिवारिक ढांचे में हो रहे इस बदलाव पर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, ‘बाजारवाद से लोगों में किसी दूसरे पर भरोसा करने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। लोग बिजनेस भरोसे पर नहीं कर रहे हैं। अब लोगों के किसी से ज्यादा करीबी संबंध भी नहीं होते हैं। आज की संस्कृति किसी व्यक्ति को किसी दूसरे शख्स से जुड़ने से रोक रही है। लोग हर चीज को आशंका से देख रहे हैं।’

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