संजय दत्त की बायोपिक के टाइटल का नाम बताने वाले को मिलेगा 92,000 का ये खास इनाम

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मुम्बई: पिछले काफी समय से संजय दत्त की बायोपिक की चर्चा चल रही लेकिन अभी तक इसका नाम तय नहीं हो पाया। इसके लिए अब हाल ही निर्देशक राजकुमार हिरानी ने एक सुझाव मांगा है जिसमें बायोपिक का नाम बताने वाले को 92,000 का ईनाम दिया जाएगा।

दरअसल, यह ऐलान शुक्रवार को फिल्म के निर्देशक राजकुमार हिरानी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में की। यहां फिल्म की शूटिंग के लिए आए हिरानी ने अपने अन्य साथियों विधु विनोद चोपड़ा, अभिजात जोशी और फिल्म के मुख्य किरदार रणबीर कपूर व विक्की कौशल की मौजूदगी में कहा, “संजय दत्त की बायोपिक का अभी तक नाम तय नहीं हुआ है, और इसके लिए वे कॉन्टेस्ट रखेंगे, जो अच्छा नाम सुझाएगा उसे इनाम दिया जाएगा।”

हिरानी ने आगे कहा कि वे ‘मुन्ना भाई 2’ बनाने के लिए संजय दत्त के पास गए थे, मगर जब उनकी जिंदगी की कहानी सुनी तो उन्हें लगा कि संजय दत्त पर बायोपिक बनाई जा सकती है। “इससे पिता-पुत्र के रिश्तों का पता चलता था। इसके लिए संजय दत्त और उनके परिवार से जुड़े लोगों से संवाद करने के बाद इस फिल्म को बनाने का निर्णय लिया।”

हिरानी ने आगे कहा, “इस फिल्म के लिए संजय दत्त की जिंदगी की कहानी सुनी, इसकी दो सौ घंटे की रिकार्डिग है। उसके बाद उनके परिजनों, पत्रकारों और उनके जानने वालों से चर्चा की, क्योंकि हम एकतरफा फिल्म नहीं बनाना चाहते थे। उन्होंने कहा, “संजय दत्त को कभी रोते नहीं देखा, फिल्मों में जरूर देखा है, मगर इस फिल्म की शूटिंग के दौरान वे कई बार रो पड़े। संजय दत्त ने इस फिल्म को लेकर यहां तक कहा कि तुमने ढाई घंटे में मेरी पूरी जिंदगी दिखा दी।”

विधु विनोद चोपड़ा ने कहा, “यह फिल्म ऐसी होगी, जो मनोरंजक होने के साथ ही पारिवारिक भी होगी। इस फिल्म का रफ-कट तक लोगों को पसंद आएगा। यह रफ-कट थ्री ईडियट से बेहतर है। यह फिल्म शिक्षा प्रद भी होगी। इस फिल्म में बेटे का बाप से क्या रिश्ता होता है और उसे किस तरह से निभाया जाना चाहिए, यह संदेश दर्शकों को मिलेगा।”

फिल्म के मुख्य किरदार रणबीर कपूर ने कहा, “संजय दत्त की जिंदगी पर आधारित फिल्म में उनकी भूमिका निभाते वक्त ऐसा लगता है मानो उस इंसान में सब कुछ है, कभी-कभी लगता है कि एक इंसान इतनी सारी जिंदगियां कैसे जी लेता है। इस तरह की जिंदगी जीने के लिए सौ जन्म लेने पड़ेंगे। रणवीर ने कहा, “संजय दत्त बनने के लिए उन्हें बड़ी मेहनत करनी पड़ी है, क्योंकि वह मानते हैं कि ऐसे मौके बार-बार नहीं आते हैं। एक इंसान को समझना और उसकी भूमिका निभाना कठिन है।”

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