सोशल मीडिया से: लिंक्ड इन एक सोशल साइट है। इस पर राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के वरिष्ठ स्तर के अधिकारी अजय कुमार ने अंग्रेज़ी में विस्तार से पोस्ट लिखा है। इस पोस्ट में अजय कुमार बताते हैं कि धर्मेंद्र प्रधान ने सबके सामने उन्हें गालियां दीं। उस तरह की गालियां जिन्हें यहां लिखना संभव नहीं हैं। अंग्रेज़ी में जिन्हें cuss word कहते हैं।
सेना में 23 साल तक अफसरी करने वाले अजय कुमार ने अपने इस सार्वजनिक अपमान के बारे में लिखा है। क्या राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद करने वाली मोदी सरकार के मंत्री को इतनी छूट है कि वह सेना के एक वरिष्ठ अफसर को सबके सामने गालियां दे सकते हैं, उन्हें बर्ख़ास्त करने के आदेश दे सकते हैं?
क्या यह छूट इस दम पर है कि ऐसी बातें अख़बारों में नहीं छपती हैं। न्यूज़ चैनलों में नहीं दिखाए जाते हैं? जिसके कारण जनता को कभी पता ही नहीं चलेगा कि धर्मेंद्र प्रधान सेना के अफसर अजय कुमार को सबके सामने दस मिनट तक गालियां देते रहें। पोस्ट बहुत ही लंबा है और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के भीतर चल रही कई तरह की कारगुज़ारियों के बारे में लिखा है।
अजय कुमार ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इसलिए ज्वाइन किया क्योंकि वे देश के लिए कुछ करना चाहते थे। अच्छी सैलरी की नौकरी का प्रस्ताव छोड़ कर इसलिए कम सैलरी वाले काम पर आए। अजय कुमार को दो बड़ी ज़िम्मेदारियां दी गईं। जो भी स्किल सेंटर खुलने थे, उनकी जांच करना और रेटिंग देना। दूसरा जम्मू कश्मीर के नौजवानों के लिए उड़ान योजना। इन दोनों के प्रमुख बनाए गए।
घटना पिछले साल की है। दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में स्किल इंडिया का कार्यक्रम था। वहां अजय कुमार को नहीं जाना था मगर कबीना मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के दफ्तर से वहां मौजूद रहने को कहा गया। धर्मेंद्र प्रधान ने अपने किसी ख़ास के स्किल सेंटर को मान्यता देने के लिए कहा तो अजय कुमार ने कहा कि मंत्रालय के नियमों के मुताबिक इन्हें मान्यता देना मुमकिन नहीं है। आपका ज़ुबानी आदेश लागू नहीं हो सकता है। बस इतने पर धर्मेंद्र प्रधान उखड़ गए। सबके सामने अजय कुमार को गालियां देने लगे। मंत्री जी इतना आपा खो चुके थे कि सबसे सामने उन्हें बर्ख़ास्त करने की धमकी देने लगे।
अजय कुमार हतप्रभ रह गए। सेना के इस अफसर ने ऐसा अपमान कभी नहीं देखा था। वे खुद को सबके बीच नंगा महसूस करने लगे। अजय कुमार ने लिखा है कि वहां पर लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल भी मौजूद थे। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के प्रबंधन निदेशक मनीष कुमार भी थे। किसी ने कुछ नहीं कहा। अजय कुमार ने तब मंत्री को कहा कि आप अपने शब्दों पर ध्यान दें। इतना कहने पर धर्मेंद्र प्रधान और भड़क गए और गालियां देने लगे। प्रबंधन निदेशक को निर्देश दिया कि इनकी बर्ख़ास्तगी पर अगली सुबह पूरी रिपोर्ट दीजिए। वहां पर आए मेहमानों के बीच सेना का यह अफसर गालियां खाता रहा। अपमान सहता रहा मगर मंत्री की धौंस के आगे सब चुप रहे।
यही नहीं इस्तीफा देने के लिए लीगल टीम की तरफ से धमकियां दी गईं। उनके परिवार को देख लेने की धमकियां। यह सब अजय कुमार का ही लिखा हुआ बता रहा हूं। बाद में प्रधानमंत्री कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक ने अजय कुमार को बुलाया और कहा कि इस्तीफा देना होगा। अजय कुमार ने अपना इस्तीफा लिख दिया। 31 जुलाई 2018 को उनकी सेवा समाप्त हो गई। उन्होंने अपने लंबे पोस्ट में कौशल विकास की कारस्तानियों का ज़िक्र किया है।
अजय कुमार ने 9 महीने बाद पब्लिक में पोस्ट लिखा है। इसका कारण यह बताया है कि स्किल इंडिया छोड़ने के बाद उन्हें चार नौकरियों के प्रस्ताव मिले। हर जगह उन्होंने छोड़ने का सही कारण बताया कि मंत्री ने गाली दी और ज़बरन इस्तीफा लिया। यह सुनकर उन कंपनियों को नौकरी देने की हिम्मत नहीं हुईं। वे अपना प्रस्ताव लेकर चंपत हो गईं। अजय के दोस्तों ने समझाया कि कुछ झूठ बोल दो। तब अजय से रहा नहीं गया औऱ उन्होंने पब्लिक में यह पोस्ट लिख दिया है।
धर्मेंद्र प्रधान को इसका जवाब देना चाहिए। उनकी पार्टी की राजनीति के अनुसार सेना के अफसर तो झूठ नहीं बोलेंगे। सेना कभी झूठ नहीं बोलती है। जो सेना कहती है उसी पर भरोसा करना चाहिए। तो क्या पब्लिक भरोसा करे कि प्रधानमंत्री मोदी का एक मंत्री मंत्रालय के काम के सिलसिले में अपने अफसरों को गालियां देता है? अजय कुमार को भी लेख के बाद सबके सामने आना चाहिए।
जब गालियां दी जा रही थीं तब वहां मौजूद राजेश अग्रवाल और मनीष कुमार को भी ध्यान रखा जाना चाहिए जिन्होंने अजय कुमार का साथ नहीं दिया। सिस्टम में ऐसे कमज़ोर अफ़सर सिर्फ अपने लिए होते हैं। सरकारी गाड़ी और कुर्सी की धमक रिश्तेदारों में दिखाते हैं। मगर कभी मौका आने पर तन कर खड़े नहीं हो पाते हैं।
अजय कुमार के पोस्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
ध्यान दे- ये आलेख पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक पेज से लिया गया है। इस आलेख में केवल हैंडिग के अलावा सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार Panchdoot के नहीं हैं।
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