Mohan Yadav Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री मोहन यादव होंगे। भोपाल स्थित BJP के प्रदेश कार्यालय में सोमवार को पार्टी विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी। मोहन यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं। शिवराज सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया।
प्रदेश में दो डिप्टी सीएम भी होंगे- जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला। जगदीश देवड़ा मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ से विधायक हैं। देवड़ा SC वर्ग से आते हैं। जबकि राजेन्द्र शुक्ला रीवा सीट से विधायक हैं और ब्राह्मण वर्ग से आते हैं।
इसके अलावा, नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष होंगे। तोमर मुरैना जिले की दिमनी सीट से विधायक हैं। हालांकि डिप्टी सीएम और स्पीकर के नाम की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर नए सीएम के नाम का ऐलान होने के बाद शिवराज सिंह चौहान राजभवन पहुंचे। जहां उन्होंने राज्यपाल मंगुभाई पटेल को सीएम पद से अपना इस्तीफा सौंपा। उनका इस्तीफा तत्काल मंजूर भी हो गया। शिवराज सिंह ने नए सीएम को बधाई भी दी। उन्होंने कहा- मध्यप्रदेश को नया मुख्यमंत्री मिल गया है। उन्हें बहुत बहुत बधाई, उनका अभिनंदन।
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कौन है मोहन यादव
उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक मोहन यादव मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। यादव ने 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) से अपने राजनीति करियर की शुरुआत की।1986 में उन्हें ABVP के विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई। यादव की छवि सड़क पर संघर्ष करने की रही है।
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मोहन यादव 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक चुने गए थे। इसके बाद 2018 और 2023 का विधानसभा चुनाव भी जीते। 2 जुलाई 2020 को उन्हें शिवराज कैबिनेट में उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया। 1965 में उज्जैन में पूनमचंद यादव के घर जन्मे मोहन यादव एमए, पीएचडी हैं। उनकी शादी सीमा यादव से हुई है। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं।
विवादों से भी रहे चर्चा में
कांग्रेस ने उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर चुनाव से पहले यादव पर गंभीर आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने कहा था कि मोहन यादव ने परिवार के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान को गलत तरीके से पास कराया। इसके बाद सरकार ने उज्जैन के मास्टर प्लान को लागू करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, मोहन यादव ने इन तमाम आरोपों को खारिज कर दिया था।
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मोहन यादव ने सीता माता को लेकर विवादित बयान भी दिया था। मंत्री ने कहा था, ‘मर्यादा के कारण राम को सीता को छोड़ना पड़ा। उन्होंने वन में बच्चों को जन्म दिया। कष्ट झेलकर भी राम की मंगलकामना करती रहीं। आज के दौर में यह जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है।’
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