कौन है Arnold Dix? जो टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने में जुटा है

इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन स्विट्जरलैंड स्थित एक संगठन है, जिसमें 79 देश सदस्य के रूप में शामिल हैं। डिक्स क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर हैं

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Who is Arnold Dix: उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर से 41 मजदूर फंसे हुए हैं। रोज आने वाले नए-नए अपडेट्स पर देशभर की नजरें टिकी हैं। ऐसे में एक शख्स की खूब चर्चा हो रही है। जिसका नाम है Arnold Dix. जब हमने इनके बारें में सर्च शुरु की तो मालूम चला है कि ये शख्स रेस्क्यू ऑपरेशन में मजदूरों को बचाने के लिए विश्व-प्रसिद्ध विशेषज्ञ है।

Arnold Dix ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं। अर्नोल्ड डिक्स 20 नवंबर को भारत आए थे और तब से सिल्कयारा सुरंग (Silkyara Tunnel) स्थल पर डेरा डाले हुए हैं। ‘डिक्स’ इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस के अध्यक्ष और इस क्षेत्र के विश्व-प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं।

इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन स्विट्जरलैंड स्थित एक संगठन है, जिसमें 79 देश सदस्य के रूप में शामिल हैं। डिक्स क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर हैं और वह कानून (Law) की प्रैक्टिस भी करते हैं।

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दरअसल, प्रोफेसर डिक्स अंडरग्राउंड और ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में विशेषज्ञ हैं। कंस्ट्रक्शन रिस्क से लेकर टेक्निकल इश्यू के साथ एक्चुअल सेफ्टी परफॉर्मेंस तक सुरक्षा से जुड़े मामलों में एक्सपर्ट हैं। वह भूमिगत निर्माण से संबंधित जोखिमों पर भी सलाह देते हैं और भूमिगत सुरंग निर्माण पर दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। क्षेत्र में उनका लगभग तीन दशकों का अनुभव उस कठिन बचाव अभियान में महत्वपूर्ण रहा है, जिसे पिछले बारह दिनों में एक के बाद एक झटके लगे हैं।

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डिक्स ने AFP से कहा, “आम तौर पर, जब मैं बचाव का जवाब दे रहा होता हूं, तो कुछ बाढ़ आ रही होती है, या हमारे पास ऑक्सीजन खत्म हो रही होती है, या कुछ भयानक हो रहा होता है।” उन्होंने यह उन क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए कहा, जहां लोग स्थिर थे। डिक्स ने यह भी स्वीकार किया कि मशीन कुछ कठिनाइयों का सामना कर रही थी, लेकिन इसे इसी काम के लिए डिजाइन किया गया है।

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कैसे और कब हुआ ये हादसा
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी। इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। रेस्क्यू के दौरान 16 नवंबर को टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।


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