सोशल मीडिया पर लगा टैक्स, FB और Whatsapp चलाने के लिए देने होंगे रोजाना पैसे

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सोशल मीडिया पर फैलती अफवाहों पर लगाम कसने के लिए सरकार ने एक कठोर कदम उठाते हुए सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले लोगों पर टैक्स देना होगा। यह कानून 1 जुलाई से लागू होगा। इस कानून के तहत जो लोग भी फेसबुक, व्हॉट्सएप, वाइबर और ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेंगे, उन्हें हर दिन के हिसाब से करीब 3 रुपये 36 पैसे देने होंगे।
इस कानून की जहां आलोचना तेज हो गई है वहीं भारत में कई लोग इस फैसले को ठीक मानते हुए इसका समर्थन भी कर रहे हैं। जी हां ये कानून भारत में लागू नहीं हुआ बल्कि युगांडा सरकार ने इसे अपने लोगों पर लगाया है। युगांडा के राष्ट्रपति ने वित्त मंत्रालय को खत लिखते हुए कहा था कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके अच्छा-खासा टैक्स इकट्ठा किया जा सकता है, जिससे देश का कर्ज कम करने में मदद मिलेगी।
हालांकि लेकिन उन्होंने कहा था कि इंटरनेट डेटा पर टैक्स न लगाया जाए क्योंकि यह पढ़ाई-लिखाई के लिए इस्तेमाल होता है। अब युगांडा के नागरिकों को फेसबुक, व्हाट्सऐप, वाइबर और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल के लिए हर रोज $0.0531 यानी 3 रुपये 56 पैसे देने होंगे। इसके अलावा नए एक्साइज ड्यूटी (संशोधन) बिल में कई और टैक्स हैं। जिसमें कुल मोबाइल मनी ट्रांजेक्शन में अलग से 1 फीसदी का टैक्स लगेगा।

उल्लेखनीय है कि इस समय युगांडा सरकार अभी सभी मोबाइल फोन सिम को रजिस्टर करने से जूझ रही है। देश में 23.6 मिलियन मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले सब्सक्राइबर्स में से 17 मिलियन ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अभी भी इसके ढंग से लागू होने को लेकर संदेह है।

सदेंह के घेरे में कानून:
युगांडा सरकार के फैसले के बाद, विशेषज्ञों और कुछ इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने सोशल मीडिया पर लगाए जाने वाले रोजाना के इस टैक्स पर संदेह जताया है और इसे लागू कैसे किया जाएगा, इस पर सवाल उठाए हैं। अब तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि अधिकारी ये कैसे पता करेंगे कि कौन सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है और कौन नहीं।

क्या भारत में लग सकता है ऐसा टैक्स?

भारत में इंटरनेट और साइबर क्राइम मामलों के जानकार पवन दुग्गल का कहना है कि अभी तो ऐसा कोई प्रावधान नहीं है लेकिन अगर सरकार चाहे तो टैक्स लगा सकती है लेकिन इससे सरकार को कोई ज्यादा फायदा नहीं होना है। दूसरे तरफ दुग्गल का कहना है कि भारत में फेसबुक और व्हाट्सऐप के जरीए काफी अफवाहें फैलाई जाती है। अगर इस और सरकार वाकिय कदम उठाना चाहती है तो ऐसा प्रयास किया जाना लेकिन इसके लिए बड़ी मजबूत ठोस प्लानिंग की जरूरत पड़ेगी।

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