नई दिल्ली: सोशल मीडिया में भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन के साथ मारपीट व अभद्रता के वीडियो जारी किया गया है। भारत सरकार ने कहा है कि भारतीय सैनिक का वीडियो जारी कर पाकिस्तान ने जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन किया है। भारत में पाकिस्तान के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब कर भारत ने साफ शब्दों में पाकिस्तान को चेताया है कि उसकी हिरासत में भारतीय जवान को किसी किस्म का नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। साथ ही भारत जल्द ही विंग कमांडर अभिनंदन की भारत वापसी की उम्मीद कर रहा है।
वीडियो को जारी कर जैसे ही पाकिस्तान को अपनी गलती का एहसास हुआ, पाकिस्तानी सूचना मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ये वीडियो हटा लिए गए। इससे पहले सोशल मीडिया पर कड़ा विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर भी भारतीय जवान को वापस लाने को लेकर अभियान छेड़ा गया है। सभी की मांग है कि भारतीय जवान अभिनंदन वर्धमान को तुरंत वापस लाया जाए। ट्विटर पर यूजर्स #Abhinandan, #BringBackAbhinandan हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं। इसके अलावा #SayNoToWar हैशटैग के जरिए शांति की अपील की जा रही हैं।
कब हुई जेनेवा संधि लागू:
युद्धबंदियों के अधिकारों को बरकरार रखने के जेनेवा समझौता में कई नियम दिए गए हैं। जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है। मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी। इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी।
क्या है जेनेवा संधि में-
इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं। इसमें साफ तौर पर ये बताया गया है कि युद्धबंदियों के क्या अधिकार हैं। साथ ही समझौते में युद्ध क्षेत्र में घायलों की उचित देखरेख और आम लोगों की सुरक्षा की बात कही गई है। जेनेवा समझौते में दिए गए अनुच्छेद 3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार होना चाहिए।
जेनेवा संधि की मुख्य बातें-
इस संधि के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है।
– संधि के तहत उन्हें खाना पीना और जरूरत की सभी चीजें दी जाती है।
– इस संधि के मुताबिक किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता।
– किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर ये संधि लागू होती है। (फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष)
-संधि के मुताबिक युद्धबंदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता।
– युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जाता।
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