ट्रंप ने खत्म किया दो साल पुराना नेट न्यूट्रलिटी का कानून, गूगल-फेसबुक जाएगा कोर्ट

अमेरिका में खत्म हुआ दो साल पुराना नेट न्यूट्रलिटी का कानून, फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगी गूगल-फेसबुक जैसी कंपनियां।

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वाशिंगटन: अमेरिकी टेलीकॉम रेगुलेटर फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) ने गुरुवार को नेट न्यूट्रलिटी कानून खत्म करने का फैसला किया। कमीशन में इसका प्रस्ताव 3-2 से पास हो गया। फैसले को लागू होने में कई हफ्ते लगेंगे, लेकिन कानूनी और राजनीतिक लड़ाई तत्काल शुरू हो गई। विपक्षी डेमोक्रेट नेताओं का कहना है कि यह मुक्त और खुले इंटरनेट की अवधारणा के खिलाफ है। डेमोक्रेट नेताओं के साथ कई टेक्नोलॉजी कंपनियों और उपभोक्ता संगठनों ने कहा है कि वे इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे। इनका कहना है कि यह कदम कंज्यूमर के खिलाफ है। इससे सिर्फ सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को फायदा होगा।

भारतीय मूल के अजीत पई एफसीसी के अध्यक्ष हैं। उन्हें मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नियुक्त किया है। कमीशन की बैठक में वही नेट न्यूट्रलिटी खत्म करने का प्रस्ताव लेकर आए थे। इसे 2015 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय लागू किया गया था। एफसीसी ने छह महीने पहले नेट न्यूट्रलिटी खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की थी।

इसके प्रस्ताव पर लाखों लोगों ने प्रतिक्रियाएं भेजी थीं। ज्यादातर ने मौजूदा व्यवस्था का समर्थन किया था। डेमोक्रेट नेता नैंसी पेलोसी का कहना है कि एफसीसी ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया है। इस मामले में यह शुरू से ही गोपनीयता बरत रहा था। इंटरनेट विशेषज्ञों के कड़े विरोध के बावजूद बिना किसी जन सुनवाई के यह निर्णय लिया गया।

इंटरनेट को अब यूटिलिटी नहीं माना जाएगा 
इंटरनेट को फोन सर्विस की तरह यूटिलिटी नहीं माना जाएगा। इसलिए सरकार स्पीड को रेगुलेट नहीं करेगी। एफसीसी का कहना है कि रेगुलेशन नहीं होने से 20 साल तक इंटरनेट का तेजी से विस्तार हुआ। इससे कंज्यूमर को फायदा होगा, क्योंकि ब्रॉडबैंड प्रोवाइडर ग्राहकों को ज्यादा विकल्प दे सकेंगे।

कंज्यूमर को नुकसान की आशंका ज्यादा 
ट्रेडग्रुप इंटरनेट एसोसिएशन ने कहा है कि वह फैसले को कोर्ट में चुनौती देगी। एसोसिएशन में अमेजन, गूगल और फेसबुक भी हैं। इसने कहा कि सर्विस प्रोवाइडर पर निर्भरता बढ़ना कंज्यूमर के लिए नुकसानदायक है। नेटफ्लिक्स और ट्विटर ने इसे इनोवेशन और मुक्त अभिव्यक्ति के खिलाफ बताया।

सब कुछ सर्विस प्रोवाइडर पर निर्भर होगा 
सर्विस प्रोवाइडर अगर किसी वेबसाइट को ब्लॉक करता है, या तरजीह देता है तो उसे इसका खुलासा करना पड़ेगा। फेडरल ट्रेड कमीशन देखेगा कि यह प्रतिस्पर्धा के खिलाफ तो नहीं। आलोचकों के अनुसार एफटीसी तभी कार्रवाई करेगा जब कंपनी खुलासा करेगी। कंपनी ने नहीं बताया तो पता कैसे चलेगा?

भारत में नेट न्यूट्रलिटी जारी रहेगी 
भारत में नेट न्यूट्रलिटी बनी रहेगी। ट्राई चेयरमैन आर.एस. शर्मा ने एक कार्यक्रम में कहा कि इंटरनेट को खुला रखना ही भारत के हित में है। ट्राई ने पिछले महीने अपनी सिफारिश भी दी थी, जिसमें कंटेंट के साथ भेदभाव वाले समझौते पर रोक लगाने की बात है। देश की 130 करोड़ की आबादी में करीब 35 करोड़ लोगों के पास ही इंटरनेट है। इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए इंटरनेट को खुला रखना जरूरी है।

क्यों जरूरी है इंटरनेट की न्यूट्रलिटी 
ऑनलाइन पेमेंट से लेकर एंटरटेनमेंट तक, सब में इंटरनेट की जरूरत पड़ती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नई टेक्नोलॉजी इसी से चलती है। इंटरनेट को सीमित करने से वे कंपनियां प्रभावित होंगी जिनका बिजनेस इसी पर आधारित है।

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