राफेल सौदे पर डसॉल्ट के CEO का बड़ा बयान, अब क्या करेंगे राहुल गांधी!

एरिक ट्रैपियर ने कहा कि वो जानते हैं कि इस मुद्दे पर कुछ विवाद हैं। लेकिन सच ये भी है चुनावों के मौके पर घरेलू राजनीति की वजह से इस तरह के मामले सामने आते हैं।

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नई दिल्ली: राफेल मामले पर दसॉल्ट के CEO एरिक ट्रैपियर ने ANI से बातचीत में बताया कि अंबानी को चुनना उनका फैसला था और रिलायंस के अलावा 30 ऐसी और कंपनियां भी इसमें साझीदार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय एयरफोर्स को इन विमानों की जरूरत है इसलिए वह इस सौदे का समर्थन कर रही है। उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए जो अहम है, वह सच है, और सच यह है कि यह बिल्कुल साफ-सुथरा सौदा है, और भारतीय वायुसेना (IAF) इस सौदे से खुश है

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से इस सौदे को लेकर लगाए जा रहे आरोपों पर कहा, ‘मैं कभी झूठ नहीं बोलता हूं। जो सच मैंने पहले कहा था, और जो बयान मैंने दिए, वे सच हैं। मेरी छवि झूठ बोलने वाले की नहीं है। CEO के तौर पर मेरी स्थिति में रहकर आप झूठ नहीं बोलते हैं।

एरिक ट्रैपियर ने कहा कि वो जानते हैं कि इस मुद्दे पर कुछ विवाद हैं। लेकिन सच ये भी है चुनावों के मौके पर घरेलू राजनीति की वजह से इस तरह के मामले सामने आते हैं। उनके लिए सबसे जरूरी बात है कि सच क्या है और सच यही है कि यह क्लीन डील है और भारतीय वायुसेना भी इस डील से खुश है।

हमें कांग्रेस के साथ काम करने का लम्बा अनुभव है। भारत में हमारा पहला सौदा 1953 में हुआ था, (पंडित जवाहरलाल) नेहरू के समय में, और बाद में अन्य प्रधानमंत्रियों के काल में भी। हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे हैं, हम भारत सरकार तथा भारतीय वायुसेना को स्ट्रैटेजिक उत्पाद सप्लाई करते हैं, और यही सबसे अहम है।

राफेल जेट की कीमतों को समझाते हुए एरिक ट्रैपियर कहते हैं कि 36 राफेल विमानों के सौदे की कीमत 18 फ्लायावे के बराबर है। आप जानते हैं कि 36, 18 का दूना होता है। इस लिहाज से 36 विमानों की कीमत वहीं होनी चाहिए थी। लेकिन सरकार-सरकार के बीच समझौते होने की वजह से इसके दाम दूना होना चाहिए था। ये बात जानकार आपको हैरानी होगी कि डसॉल्ट को प्राइस बढ़ाने की जगह 9 फीसद कीमत घटानी पड़ी।

एरिक ने कहा सौदे के अनुसार, भारतीय वायुसेना (IAF) को (राफेल की) पहली डिलीवरी अगले साल सितंबर में की जानी है। काम बिल्कुल वक्त पर चल रहा है। जहां तक रिलायंस में पैसे डालने की बात है तो ये बात गलत है सौदे का पैसा डसॉल्ट- रिलायंस ज्वाइंट वेंचर में जा रहा है। डसॉल्ट के इंजीनियर और कर्मचारी इसके औद्योगिक उत्पादन में अग्रणी भूमिका में हैं। डसॉल्ट की जिम्मेदारी सिर्फ बेहतर उत्पाद मुहैया कराने की है और उस दिशा में हम आगे बढ़ चुके हैं।

सरकार ने पहले भी स्पष्ट्र किया-
मोदी सरकार राफेल सौदे को लेकर पहले भी स्पष्ट्र रूप से बयान दे चुकी है कि इस सौदे में किसी भी प्रकार का कोई घोटाला नहीं किया है। सभी नियमों को ध्यान में रखकर ये सौदा किया है। ये बात अलग है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल सौदे पर सरकार को घेर रहे हैं और पीएम मोदी पर देश का चौकीदार चोर है के आरोप लगा रहे हैं। सरकार पहले भी साफ कर चुकी है कि विपक्ष के लगाए सभी आरोप झूठे हैं।

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