वक्फ बिल (Waqf Amendment Bill) में बदलावों को संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने सोमवार को मंजूरी दे दी। JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि इस फाइनल मीटिंग में सभी 44 संशोधनों पर चर्चा की गई। इनमें NDA सांसद के 14 सुझावों को मंजूरी दे दी गई है। विपक्षी सदस्यों ने भी कुछ प्रस्ताव रखे, लेकिन वोटिंग के दौरान इन्हें नकार दिया गया।
दरअसल, यह विधेयक पिछले वर्ष अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था और इसमें देश में मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में 44 विवादास्पद परिवर्तन करने का प्रावधान है। जेपीसी की बैठक में इस बिल में कई महत्वपूर्ण बदलावों को मंजूरी मिली है।
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बिल में इन मुख्य बदलावों को मिली मंजूरी
- इस बिल में पहले प्रावधान था कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर मुस्लिम सदस्य अनिवार्य होंगे। इसमें बदलाव किया गया है। अब पदेन सदस्यों को इससे अलग कर दिया गया है। जिसका मतलब है कि वक्फ परिषदें, चाहे राज्य स्तर पर हों या अखिल भारतीय स्तर पर, कम से कम दो और संभवतः अधिक सदस्य होंगे जो इस्लाम धर्म से नहीं होंगे।
- वहीं, एक अन्य संशोधन के अनुसार अब कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं इसका फैसला राज्य सरकार की ओर से नामित अधिकारी करेगा। मूल मसौदे में यह निर्णय जिला कलेक्टर पर छोड़ा गया था।
- एक और अन्य संशोधन के अनुसार कानून पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होगा। शर्त ये है कि वक्फ संपत्ति पंजीकृत हो यानी जो वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड है उनपर असर नही पड़ेगा। हालांकि, जो पहले से रजिस्टर्ड नहीं है उनके फैसले भविष्य में तय मानकों के अनुरूप होगा। (लेकिन, कांग्रेस नेता और जेपीसी सदस्य इमरान मसूद ने इसको लेकर कहा कि 90 प्रतिशत वक्फ संपत्तियां वास्तव में पंजीकृत नहीं हैं )
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वक्फ संशोधन विधेयक क्या है?
वक्फ (Waqf) एक इस्लामी परंपरा है जिसके तहत संपत्तियां धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दान की जाती हैं। ये संपत्तियां आमतौर पर धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए उपयोग की जाती हैं, जैसे मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान या अन्य सामाजिक सेवाएं। वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का प्रबंधन करता है। वक्फ संशोधन विधेयक उन कानूनों को अपडेट करने और सुधारने का प्रयास है जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग से संबंधित हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक पर विवाद
विधेयक को लेकर कई विवाद सामने आए हैं। इनमें से प्रमुख विवाद निम्नलिखित हैं:
- संपत्तियों का अधिग्रहण: वक्फ संशोधन विधेयक के तहत यह आरोप लगाया गया है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। कई संगठनों का दावा है कि इससे समुदाय की संपत्तियों की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: वक्फ बोर्डों पर अक्सर भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता के आरोप लगाए जाते हैं। विधेयक के समर्थकों का कहना है कि यह पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास है, जबकि आलोचकों का मानना है कि यह समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप है।
- राजनीतिक उद्देश्य: कुछ लोग इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखते हैं और मानते हैं कि विधेयक का उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाना है।
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अब तक क्या हुआ है?
भारत में वक्फ और उससे संबंधित कानूनों का इतिहास काफी पुराना है।
- वक्फ अधिनियम, 1995: वर्तमान में वक्फ बोर्डों का प्रबंधन वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत होता है। इस कानून में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, प्रबंधन और विवाद समाधान के प्रावधान हैं।
- विधेयक का संशोधन: हाल ही में पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक में वक्फ बोर्डों को और अधिक उत्तरदायी बनाने की बात कही गई है। इसमें संपत्तियों की पारदर्शी सूची बनाना, डिजिटल रिकॉर्ड रखना और विवाद समाधान को तेज करना शामिल है।
- विरोध और समर्थन: कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह विधेयक समुदाय के अधिकारों को कम करता है। दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की बेहतरी और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
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