सोशल मीडिया से: कोरोना वायरस को लेकर यूं तो कई तरह की तरह की फेक न्यूज, अफवाह आदि सोशल मीडिया पर खूब पढ़ने को मिल जाती है। लेकिन अचानक से दुनिया की विशाल शक्ति माने जाने वाले देश अमेरिका में सबसे बड़ी फेक न्यूज अपना जबरदस्त असर दिखाने लगी है।
इस फेक न्यूज के मैसेज से लेकर यूट्यूब पर वीडियो तक लोगों ने बनाकर डाली है। दरअसल, अमेरिका के लोग मोबाइल टावरों में आ लगा रहे हैं क्योंकि न जानें कहा से यह बात फैल गई है कि ‘5 जी टावरों के रेडिएशन’ से कोरोना फैल रहा है। हालांकि, सरकार इस बारे में सफाई जारी कर चुकी है कि 5जी का COVID-19 से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन ये अफवाहें कम होने का नाम नहीं ले रही है।
द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते ब्रिटेन के बर्मिंघम में कुछ लोगों ने 7 मोबाइल टावर्स में आग लगा दी। ये ही नहीं इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर खूब शेयर भी किया गया। इतना ही नहीं जो लोग इस 5 जी रेडिएशन थ्योरी पर यकीन रखते हैं उनमे से कुछ ने ब्रॉडबैंड इंजीनियर्स को गालियां दी गई। लोगों के इस अधंविश्वास से कंपनियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी खतरा मंडराने लगा है। पूरी इंडस्ट्री अब इसे लेकर चिंता में है क्योंकि इसका असर काम पर पड़ने लगा है।
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि इस वक्त ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं और उन्हें, साथ-साथ इमर्जेंसी सर्विसेज, ग्राहकों और अस्पतालों तक टेलिकॉम सेवा पहुंचाना बड़ा काम है।
#MustWatch When those conspiracy theory people said 5G was designed to damage all life and people laughed. And now this 😲😮 #5G #Radiation #Coronavirus #filmyourhospitals #FilmYourHospital pic.twitter.com/tofmhAm3aB
— CEO Pimp Floyd (@CeoPimpFloyd) April 3, 2020
I can hear my mum listening to a WhatsApp vid in her room explaining how 5g causes coronavirus and honestly I have run out of patience
— AH (@AMN97__) April 1, 2020
मोबाइल टावर्स बिगाड़ रहे हैं इम्यूनिटी सिस्टम
सोशल मीडिया पर इसे कॉन्सपिरेसी थ्योरी नाम दिया गया है। कॉन्सपिरेसी का मतलब षडयंत्र से है, थ्योरी यानी सिद्धांत। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि 5G की वजह से कोरोना वायरस फैला रहा है। 5G की बात करें तो ये सेल्यूलर डेटा नेटवर्क सपोर्ट वाली 5th जेनेरेशन वायरलेस कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी है। आईन्यूज.कॉम.यूके मुताबिक, वैज्ञानिकों का माना है कि इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि मोबाइल टावर्स से निकलने वाली रेडिएशन से इंसान की रोगप्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी सिस्टम पर कोई असर पड़ता है। वैज्ञानिकों ने इसे लोगों के अंदर कोरोना का पैदा हुआ डर बताया है। जिस वजह से लोग अपनी इच्छा अनुसार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के पीछे की वजह खुद खोजने लग पड़े हैं।
WhatsApp is getting out of hand. My Aunty really was all like “You’re a neuroscience major. See what 5G and the radiation from coronavirus can do” … I need that app dismantled immediately.
— Agu Nwanyi* (@ichizoba) April 2, 2020
क्या मोबाइल टावर्स बन सकते हैं कोरोनावायरस ट्रांसमीटर
सोशल मीडिया पर मोबाइल टावर्स को लेकर अलग-अलग थ्योरी पढ़ने को मिल रही है। जिसमें कुछ यूजर्स ने बताया कि मोबाइल टावर्स कोरोना वायरस को फैलाने में एक ट्रांसमीटर की तौर पर काम कर रहे हैं। इसलिए इन्हें आग के हवाले कर देना चाहिए। वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को मात्र फिल्मी बताया है।
वैज्ञानिको ने साफ कर दिया है अब तक ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है जिससे ये साबित किया जा सके की कोरोना वायरस फैलने की वजह 5G है। इसलिए लोगों में यह भ्रम नहीं फैलना चाहिए। ये एक बीमारी है जो चीन के वुहान शहर से फैली है और अब ये इंसानों से इंसानों के अंदर घर बनाने लगी है। यह बीमारी कैसे फैली इसकी पहचान पर काम किया जा रहा है। इसका प्राथमिक स्त्रोत जानवर ही मानें जा रहें हैं।