क्या जानबूझकर ट्रंप ने कैदियों की तरह भारतीयों को भेजा? अब विदेश मंत्री ने दिया जवाब, देखें VIDEO

लोगों ने बताया कि उन्हें बहुत थोड़ा सा खाना दिया गया, जिसे हाथ बांधकर ही खाना पड़ा। डिपोर्ट किए गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी थे। अमेरिका से भारत के बीच प्लेन ने चार जगह रीफ्यूलिंग के लिए स्टॉप लिया

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अमेरिका (US Indian Migrants Deportation) से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर US मिलिट्री का C-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इन लोगों के पैर में चेन बांधी गई थी, जबकि हाथ भी बेड़ियों में जकड़े हुए थे। अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल बैंक ने अपने X हैंडल पर इसका वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में भारतीयों के हाथों और पैरों में बेड़ियां साफ देखी जा सकती है।

अब इस पर विपक्ष ने संसद में हंगामा शुरु कर दिया है। बजट सत्र के पांचवें दिन अमेरिका से भारतीयों के डिपोर्टेशन मुद्दे पर संसद में हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने ‘सरकार शर्म करो’ के नारे लगाए। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा- आपकी चिंता के बारे में सरकार को मालूम है। ये विदेश नीति का मुद्दा है।

इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। विपक्षी सांसदों ने बाहर आकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कुछ सांसद हाथों में हथकड़ी पहने नजर आए। पोस्टर भी लहराए जिसमें लिखा था- बेड़ियों में हिंदुस्तान, नहीं सहेंगे ये अपमान।

विपक्ष का आरोप है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप मोदी के इतने अच्छे दोस्त हैं तो फिर भारतीयों के साथ इतना दुर्व्यवहार क्यों किया गया। क्या अवैध प्रवासियों को भारत लाने के लिए मोदी जी विमान नहीं भेज सकते थे।

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शशि थरुर ने किया भारतीय सरकार को सपोर्ट
यह पहली बार नहीं है जब हमारे लोगों को डिपोर्ट किया गया है। अभी चर्चा इसलिए हुई क्योंकि ट्रम्प ने लोगों की अपेक्षा से थोड़ा जल्दी यह कर दिया है। लेकिन पिछले साल ही, बिडेन प्रशासन के तहत, 1100 से ज्यादा भारतीयों को वापस भेजा गया था। अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में हैं, तो अमेरिका को आपको बाहर निकालने का अधिकार है और अगर भारतीय के रूप में आपकी पहचान की पुष्टि हो जाती है, तो भारत का दायित्व है कि वह आपको स्वीकार करे। इसलिए, इसमें ज्यादा बहस नहीं होनी चाहिए। यह सुनना थोड़ा अटपटा है कि उन्हें जबरन सैन्य विमान में वापस लाया गया और हथकड़ी लगाई गई। इसकी कोई जरूरत नहीं थी। उन्हें कमर्शियल फ्लाइट पर बिठाकर ही वापस भेजना चाहिए था।

विदेश मंत्री ने दिया डिपोर्टेशन पर जवाब
इस मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी नियमों के मुताबिक कार्रवाई हुई। हर साल अवैध प्राविसयों को अमेरिका भारत वापस भेजती है। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि  अवैध अप्रवासी वहां अमानवीय हालात में फंसे थे। अवैध अप्रवासियों को वापस लेना ही था। उन्होंने कहा कि डिपोर्टेशन कोई नया नहीं है। विदेश मंत्री ने 2009 से अब तक के आंकड़े भी गिनाए और कहा कि हर साल अवैध अप्रवासियों को वापस भेजा जाता है। अमेरिकी नियम के मुताबिक कार्रवाई हुई। विदेश मंत्री ने कहा कि पहली बार लोगों को वापस नहीं भेजा गया है. 2012 से ही ये नियम लागू है।

अवैध प्रवासियों ने भारत पहुंच सुनाई आपबीती
कुछ लोगों ने मीडिया को बताया कि उन्हें प्लेन में एक जगह बैठे रहने को कहा गया था। उन्हें वॉशरूम तक नहीं जाने दिया गया। जब लोगों ने बहुत जोर दिया तो प्लेन का क्रू अपने साथ वॉशरूम तक लेकर गया और दरवाजा खोलकर अंदर धकेल दिया।

लोगों ने बताया कि उन्हें बहुत थोड़ा सा खाना दिया गया, जिसे हाथ बांधकर ही खाना पड़ा। डिपोर्ट किए गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी थे। अमेरिका से भारत के बीच प्लेन ने चार जगह रीफ्यूलिंग के लिए स्टॉप लिया, लेकिन अंदर बैठे लोगों को प्लेन से निकलने की इजाजत नहीं थी।

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अवैध प्रवासियों को भारत लाने पर आया 6 करोड़ का खर्चा
जिस विमान से अमेरिका ने भारतीयों को भेजा है, उस पर लगभग 6 करोड़ रुपए का खर्च आया है। यह चार्टर्ड विभाग सामान्य उड़ान से लगभग 6 गुना ज्यादा कीमती है। सफर में अवैध प्रवासी हथकड़ियों में ही रहेंगे। राष्ट्रपति ट्रम्प हमेशा से अवैध प्रवासियों को क्रिमिनल करार देते आए हैं। अवैध प्रवासियों को सेना के विमान से डिपोर्ट करने के पीछे ट्रम्प सख्त संदेश देना चाहते हैं कि अवैध प्रवासियों के लिए अब अमेरिका में कोई जगह नहीं है।


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पंजाब-हरियाणा के सबसे ज्यादा अवैध प्रवासी
डिपोर्ट किए लोगों में हरियाणा के 33 और पंजाब के 30 और चंडीगढ़ के 2 लोग होने की सूचना है। इसके अलावा कुछ परिवार भी हैं। जिनमें 8 से 10 साल के बच्चे भी हैं। हालांकि एयरपोर्ट पर सुरक्षा में लगे अधिकारियों के मुताबिक इनमें कोई कुख्यात अपराधी नहीं है।

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ट्रम्प के सत्ता में आते ही कम हुए घुसपैठ
आपको बता दें, ट्रम्प के सत्ता संभालने के 11 दिन में 25 हजार से ज्यादा अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया गया। ट्रम्प की आइस टीम (इमिग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट) ने 12 राज्यों में छापे की कार्रवाई को अंजाम दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर छापे की कार्रवाई रिपब्लिकन राज्यों में हुई है। इनमें 1700 अवैध प्रवासी भारतीयों को हिरासत में लिया है। इससे पहले ही 18 हजार अवैध प्रवासी भारतीयों को डिपोर्ट करने के लिए सिलेक्ट किया जा चुका है।

इस दौरान मेक्सिको बॉर्डर से घुसपैठ की घटनाएं 94% तक घटी हैं। बाइडेन के कार्यकाल में इस साल 1 जनवरी से 19 जनवरी के बीच रोज औसतन घुसपैठ की 2087 घटनाएं हुईं, जबकि ट्रम्प के बाद 20 जनवरी से 31 जनवरी तक रोज औसतन घुसपैठ की मात्र 126 घटनाएं ही हुईं।

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