प्रयागराज (prayagraj protest) में लोक सेवा आयोग कार्यालय (UPPSC) के सामने 20 हजार छात्र 30 घंटे से धरने पर बैठे हैं। अब सियासत भी शुरू हो गई है। डिप्टी सीएम केशव मौर्य छात्रों के समर्थन में उतर आए हैं। कहा- अधिकारी छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से सुनें और शीघ्र समाधान निकालें। सुनिश्चित करें कि छात्रों का कीमती समय आंदोलन में नहीं, बल्कि उनकी तैयारी में लगे।
वहीं, मंगलवार सुबह छात्रों ने रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के जवानों के साथ राष्ट्रगान किया। इसके बाद थाली बजाकर प्रदर्शन किया। सोमवार आधी रात कमिश्नर, DM और आयोग के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। आयोग ने रात 10:18 बजे सात पॉइंट में बयान जारी किया। कहा- आयोग और सरकार ने छात्रों के भविष्य को देखते दो पालियों में परीक्षा का निर्णय लिया है। कुछ लोग छात्रों को बहका रहे हैं।
अब इस घटना पर सियासी घमासान शुरु हो गया है। अखिलेश यादव ने कहा- योगी बनाम प्रतियोगी छात्र जैसा माहौल है। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी। अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोजर चलाएगी।
क्या है पूरा मामला
यूपी सरकार ने पहली बार यूपी पीसीएस और आरओ-एआरओ की परीक्षा को दो दिन में करवाने का फैसला किया और डेट घोषित कर दी। आयोग ने PCS की प्री परीक्षा 7 और 8 दिसंबर, जबकि RO/ARO की परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को रखी है। दोनों परीक्षाएं दो दिन में होगी। आयोग ने पहली बार नॉर्मलाइजेशन यानी नॉर्मलाइज्ड स्कोर की प्रक्रिया लागू की है। छात्र इसका विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि परीक्षा एक ही दिन कराई जाए। नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) की प्रक्रिया निरस्त की जाए।
आखिर नॉर्मलाइजेशन क्या है?
जो परीक्षाएं एक दिन में एक शिफ्ट में खत्म हो रही हैं, उसमें नॉर्मलाइजेशन नहीं अपनाया जाता। लेकिन, जो परीक्षा अलग-अलग डेट पर होती है, अलग-अलग प्रश्न पत्र होते हैं, उसमें यह अपनाया जाता है। क्योंकि हर पेपर के डिफिकल्टी लेवल में थोड़ा अंतर हो सकता है। इस कारण सरल आए पेपर के ही शिफ्ट के छात्रों को ही फायदा न हो, इसलिए नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस अपनाया जाता है। इसके लिए विभाग एक फॉर्मूले के आधार पर काम करता है।
किस फॉर्मूले पर करता है काम
मान लीजिए कोई परीक्षा तीन शिफ्ट में हो रही है। हर शिफ्ट में 5-5 अभ्यर्थी शामिल हुए। प्रश्न पत्र कठिन आया। अभ्यर्थियों को क्रमशः 80, 85, 90, 95,100 नंबर मिला। दूसरी शिफ्ट का पेपर सरल आया। उसमें शामिल 5 अभ्यर्थियों को 110, 115, 120, 125, 130 नंबर मिला। तीसरी शिफ्ट का पेपर नॉर्मल रहा। उसमें शामिल 5 अभ्यर्थियों को 90, 95, 100, 105, 110 नंबर मिला।
इसे देखने के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरी शिफ्ट के अभ्यर्थी ज्यादा सिलेक्ट होंगे। इसलिए यहां नॉर्मलाइजेशन अपनाया जाएगा। उदाहरण में जो तीन शिफ्ट बताया है, उसमें दूसरी शिफ्ट को ऊपर रखा जाएगा। पहली शिफ्ट वालों को 30-30 नंबर एक्स्ट्रा मिलेगा। तीसरी शिफ्ट वालों को 20-20 नंबर एक्स्ट्रा मिलेगा। इस तरह से इस परीक्षा का औसत 120 नंबर होगा।
यह समझाने के लिए एक उदाहरण मात्र है। अलग-अलग परीक्षाओं में अलग-अलग मानक होते हैं। जैसे इस साल के शुरुआत में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने JEE Main के रिजल्ट में किया था। पहली बार 56 अभ्यर्थियों को 100% नंबर दिया गया था। यह स्कोर अलग-अलग दिन, अलग-अलग शिफ्ट में हुई परीक्षा और उस शिफ्ट में शामिल स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस के आधार पर होती है।
प्रयागराज के डीएम ने की छात्रों से बात
प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा। डीएम ने खुद छात्रों को समझाने की कोशिश की। अलग-अलग डेट और पालियों में परीक्षा कराने को लेकर प्रयागराज के डीएम रविंद्र कुमार ने कहा कि हमारे द्वारा उनको समझाने का प्रयास भी किया गया है। क्योंकि ये एक सामान्य प्रक्रिया है। बाकी भी कई लोक सेवा आयोग जहां पर छात्रों की संख्या ज्यादा है उसको फॉलो करते हैं। क्योंकि साढ़े पांच लाख से ज्यादा छात्र हैं और RO/ARO में 10 लाख से ऊपर छात्र हैं और पूर्व में जो प्राइवेट संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाया जाता था तो उसमें परीक्षा की सुचिता भंग हो रही थी।
पेपर लीक होते थे इसलिए ये निर्णय छात्रों के हित में लिया गया था। प्रशासन द्वारा फैसला किया गया था कि केवल जो राजकीय संस्थान हैं उन्हीं को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाए और 10 किलोमीटर के रेडियस में बनाया जाए। वही छात्रों से हमने अपील की है उनसे बात की है और उन्हें समझाने का प्रयास किया है और हम सभी छात्रों से अपील करते हैं कि ये जो प्रक्रिया है आपके हित के लिए है इसको अपनाया गया है और उन्होंने ज्ञापन भी हमको दिया है। उनका ज्ञापन हमने प्राप्त किया है।
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