उत्तर प्रदेश (UP Teacher Recruitment Scam) में सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का आरोप लगाने वाले अभ्यर्थी सड़क पर हैं। लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास से लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री के घर तक अभ्यर्थी हर रोज प्रदर्शन कर रहे हैं। अब मामला सड़कों और न्यायपालिका से गुजरता हुआ सोशल मीडिया पर आ गया है और आपको पता होगा जब कोई मामला सोशल मीडिया पर आता है तो चौतरफा चर्चा होती है। हमारे साथ व्हाट्सऐप पर जुड़ने के लिए क्लिक करें (We’re now on WhatsApp, Click to join)
500 दिन से अधिक धरना करने के बाद अभ्यर्थियों ने भूख हड़ताल का ऐलान किया है। अब जानते हैं कि है कि आखिर ये मामला है क्या है। दरअसल, ये मामला पिछले 3 साल से चल रहा है। उत्तर प्रदेश में जब अखिलेश सरकार थी, तब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया गया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और समायोजन को रद्द कर दिया गया। यानी अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बना दिया था, वह फिर से शिक्षामित्र बन गए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश योगी सरकार को दिया। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते हैं फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में 68500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली।
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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 69 हजार शिक्षक भर्ती की। 1.37 लाख शिक्षकों की भर्ती की दूसरे किस्त में सरकार ने 69 हजार वैकेंसी निकाली। 6 जनवरी 2019 को इस भर्ती के लिए परीक्षा हुई। इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी। इस भर्ती के तहत अब तक करीब 68 हजार लोगो को नौकरी मिल चुकी है।
तो विवाद किस बात?
अब सवाल उठता है कि 69 हजार भर्ती में कथित आरक्षण घोटाले की बात कहां से आई? इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है- बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी। यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा।
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यहीं से 69 हजार शिक्षक भर्ती का पेंच उलझ जाता है। दरअसल, आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का दावा है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला यानी ओबीसी वर्ग को 18598 सीट में से मात्र 2637 सीट मिली हैं। जबकि सरकार का कहना कि करीब 31 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों की नियुक्त दी गई है, उनमें से करीब 29 हजार अनारक्षित कोटे से सीट पाने के हकदार थे। प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि हमें 29 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण के दायरे में जोड़ना ही नहीं चाहिए।
#बीजेपी_दलित_पिछड़े_नेता_गूँगे_हैं#6800_की_नियुक्ति_कबतक#69000_शिक्षक_भर्ती_आरक्षण_घोटाला pic.twitter.com/mOC1klsvFx
— Shrish Maurya 🇮🇳 (@ShrishMaurya) December 28, 2023
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69 हजार शिक्षकों की भर्ती में 19 हजार सीटों का घोटाला
ठीक इसी तरह अभ्यर्थियों का आरोप है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में से एससी वर्ग को भी 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला। अभ्यर्थियों का दावा है कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में करीब 19 हजार सीटों का घोटाला हुआ. इसको लेकर वह कोर्ट भी गए और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में भी शिकायत की। अब बताया जा रहा है कि सरकार ने पिछले दिनों रिक्त पदों पर भर्ती निकाली है।
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इसका भी अब विरोध हो रहा है। सरकार के मुताबिक, 1.37 हजार वैकेंसी में जितनी सीटें रिक्त रह गई थीं। यानी 68500 और 69000 की जो दो भर्तियों में सीटें रिक्त रह गई थीं, उनमें 6 हजार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को दी जाएगी और 17 हजार नई वैकेंसी निकाली जाएगी। सरकार के इस कदम का भी अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि दोनों भर्तियों में करीब 29 हजार रिक्त हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने 6 हजार सीटों का आरक्षण घोटाला मान लिया है, तभी वह आरक्षित वर्ग के लोगों की भर्ती कर रहे हैं,लेकिन यह घोटाला 19 हजार सीटों का है, ऐसे में हमें यह 6 हजार सीटें नहीं चाहिए, बल्कि अनारक्षित की कट ऑफ 67.11 के नीचे ओबीसी को 27% (18598 सीट ) तथा एससी वर्ग को 21% (14490 सीट) का कोटा पूरा किया जाए।
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