राजस्थान: विश्वविद्यालयों को अब हर तीन साल में सिलेबस में बदलाव करना होगा, फिलहाल राजस्थान के सरकारी विश्वविद्यालयों को इस काम में 5 से 10 साल का समय लग रहा है। अब सभी विश्वविद्यालय समय अनुरूप सिलेबस में बदलाव करके इसे अपनी वेबसाइट पर जारी करेंगे ताकि छात्र नए सिलेबस के अनुरूप पढ़ाई करके परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।
विश्वविद्यालय द्वारा सिलेबस में जो बदलाव कराएं जाएंगे, उसकी समय- समय पर रिपोर्ट भी यूजीसी को देनी होगी। सिलेबस में अपग्रेडेशन का असर प्रदेश के 25 लाख रैग्यूलर प्राइवेट छात्रों पर पड़ेगा।
ऐसे तय होता सिलेबस…...
विश्वविद्यालयों में विषयवार शिक्षकों के बीच बोर्ड ऑफ स्टडीज के चुनाव होते है। इसके बाद बोर्ड ऑफ स्टडीज के संयोजक सदस्य बनते है। ये ही लोग स्टेट सहित वर्ल्ड वाइड हालातों को ध्यान में रखते हुए नया सिलेबस तैयार करते है। इसके बाद विश्वविद्यालयों की संबंधित एकेडमिक काउंसिल से अप्रूवल के बाद ही सिलेबस में बदलाव होता है।
रिलेवेंट, स्किल जॉब ओरियंटेड पर करना होगा फोकस
यूजीसीने विश्वविद्यालयों से कहा है कि सिलेबस में वर्तमान समय की प्रासंगिकता को ध्यान में रखना है। स्किल डवलपमेंट पर फोकस और जॉब ओरियंटेशन को ध्यान में रखते हुए सिलेबस तैयार करने है। वक्त की जरूरत के अनुसार इन्हे समय-समय पर बदला जाएं। विश्वविद्यालयों को छात्रों के लिए इंटर डिसीप्लिनरी का ऑप्शन देने के लिए भी कहा गया है। इसमें मूल संकाय के अलावा दूसरे संकाय के विषय भी चुनने का ऑप्शन मिलता है।
वीसी कॉर्डिनेशन कमेटियों में जताई गई थी चिंता
पिछले दिनों राजभवन में वीसी कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठकों में इस मुद्दे पर चिंता जताई गई थी कि घिसे-पीटे और पुराने सिलेबस ही यूजी-पीजी और डिप्लोमा कोर्सेस में चलाएं जा रहे है। इस पर राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस दिशा में काम करने को कहा था। इन निर्देशों के बाद ही विश्वविद्यालयों में बोर्ड ऑफ स्टडीज के चुनाव होने की प्रक्रिया शुरु हुई थी। इसमें कई विषयों में बोर्ड ऑफ स्टडीज ने 10 साल से सिलेबस में बदलाव नहीं कराया है।
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