13 साल से पेंडिंग महिला आरक्षण बिल पर विशेष सत्र में लगेगी मुहर, विपक्ष ने किया समर्थन

9 मार्च 2010 को राज्यसभा ने महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण बिल को बहुमत से पारित कर दिया गया था। तब सपा और आरजेडी ने तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी।

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नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र के बीच कैबिनेट की अहम बैठक हुई। बैठक में महिला आरक्षण विधेयक (women reservation bill) को मंजूरी दे दी गई।  केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्वीट किया कि महिला आरक्षण की मांग को पूरा करने का नैतिक साहस केवल मोदी सरकार में था। कैबिनेट की मंजूरी से यह साबित हो गया है। पीएम मोदी और उनकी सरकार को बधाई। हालांकि बाद में इस ट्विवट को डिलीट कर दिया गया।

न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक यह आरक्षण लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में लागू होगा। बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए जाएगा। कानून बनने के बाद होने वाले चुनावों में ये बिल लागू हो जाएगा।

आपको बता दें, कांग्रेस ने इस बिल पर अपनी सहमति दे दी है। राहुल गांधी ने कहा कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठें। हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे।

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13 साल से पेंडिंग हैं महिला आरक्षण बिल
9 मार्च 2010 को राज्यसभा ने महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण बिल को बहुमत से पारित कर दिया गया था। तब सपा और आरजेडी ने तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है। सपा और आरजेडी महिलाओं के लिए आरक्षण में SC-ST और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देने की मांग कर रहे थे।

विधेयक के बारे में 
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने के बावजूद, यह विधेयक बहुत लंबे समय से अधर में लटका हुआ है।

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संसद के विशेष सत्र में ये 4 बिल पेश किए जाने के कयास है-

1. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, शर्तें और पद अवधि) बिल, 2023 यह बिल चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा है। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

2. एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023 इस बिल के जरिए 64 साल पुराने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करना है। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है।

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3. प्रेस एवं रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023 यह बिल किसी भी न्यूजपेपर, मैग्जीन और किताबों के रजिस्ट्रेशन और पब्लिकेशंस से जुड़ा है। बिल के जरिए प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 को निरस्त कर दिया जाएगा।

4. पोस्ट ऑफिस बिल, 2023 यह बिल 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को खत्म कर देगा। इस बिल के जरिए पोस्ट ऑफिस के काम को और आसान बनाने के साथ ही पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों को अतिरिक्त पावर देने का काम करेगा।

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