Twitter-Meta के बाद Amazon करेगा कर्मचारियों की छटनी, जानें भारत पर क्या होगा असर?

अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस ने एक इंटरव्यू दिया है। उन्होंने कहा, 'मौजूदा समय अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब है। आर्थिक गतिविधियों में रुकावट शुरू हो चुकी है।

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Amazon Layoffs: पिछले कुछ महीने में दुनियाभर की कई कंपनियों ने बड़ी संख्या में अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल है। ट्विटर और मेटा के बाद अब अमेजन (Amazon Layoffs) भी इसका ऐलान कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से जानकारी आई है कि अमेजन इस सप्ताह के रूप में जल्द से जल्द कॉर्पोरेट और IT क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 10,000 लोगों की छंटनी करने की योजना बना रहा है। ये छंटनी दुनिया भर में काम कर रहे कर्मचारियों में से की जाएगी।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हाल ही में बताया था कि Amazon.com इंक अपने उन व्यवसायों की समीक्षा कर रहा है, जिससे उसे कमाई नहीं हो पा रही है। इसमें डिवाइस यूनिट और वॉयस असिस्टेंट एलेक्सा शामिल है। एक महीने की लंबी समीक्षा के बाद अमेजन ने अपने उन यूनिट्स के कर्मचारियों को कहीं और नौकरी की तलाश करने के लिए कहा है, जिससे कंपनी प्राफिट नहीं बना पा रही थी।

जबकि कुछ टीमों से अधिक लाभदायक क्षेत्रों में कर्मचारियों को फिर से तैनात करने और रोबोटिक्स और खुदरा जैसे क्षेत्रों में टीमों को बंद करने के लिए कहा गया है। इन सभी बातों पर ध्यान देने के बाद कंपनी ने 1000 लोगों को नौकरी से निकाला था।

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छटनी का कारण मंदी या फिर कुछ ओर?
महंगाई और कंपनियों से छंटनी की प्रक्रिया पर सीएनएन को अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस ने एक इंटरव्यू दिया है। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा समय अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब है। आर्थिक गतिविधियों में रुकावट शुरू हो चुकी है। आप कई सेक्टर में छंटनी की प्रक्रिया तेज होते हुए देख सकते हैं। ऐसे में अगर अभी मंदी का दौर नहीं है, तो जल्द ही हम उस दौर में पहुंच जाएंगे।’

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इसी तरह कई अन्य आर्थिक मामलों के जानकार और कंपनियों के मालिक मंदी की आशंका जता चुके हैं। ब्रोकरेज फर्म नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले सालभर के अंदर दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को मंदी का सबसे बुरा दौर देखने को मिल सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर टेक कंपनियों पर ही पड़ेगा। 5-6 महीने टेक कंपनियों के लिए काफी बुरे साबित होंगे।

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जुलाई में विश्व बैंक का भी एक बयान आया था। कहा गया था कि इस साल के अंत तक दुनिया की आर्थिक प्रगति कम होने की आशंका है। इसलिए ज्यादातर देशों को आर्थिक मंदी की तैयारी कर लेनी चाहिए। पूरी दुनिया ज्यादा महंगाई और कम विकास दर से जूझ रही है, जिसकी वजह से 1970 के दशक जैसी मंदी आ सकती है। दुनियाभर में इसका असर दिखने भी लगा है।

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