नोएडा: उत्तरप्रदेश के नोएडा में स्थित ट्विन टावर (Twin Tower Noida) को गिराने काउंटडाउन शुरू हो चुका है। कुतुबमीनार से भी बड़ी ऊंची इमारत का ध्वस्तीकरण 28 अगस्त 2022 को घड़ी में दोपहर के 2.30 बजते ही होगा। यह खबर पढ़ने में बड़ी आपको ऐतिहासिक लग सकती है लेकिन ट्विन टावर को गिराने के लिए लड़ी गई लड़ाई इतनी आसान नहीं थी। हां लेकिन भारत में ये ऐसा पहला मामला है जहां इतनी ऊंची इमारत गिराई जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, दोपहर 2:30 बजे एक बटन दबाया जाएगा और अगले 12 सेकेंड में कुछ धमाके होंगे सुपरटेक ट्विन टावर्स जमींदोज हो जाएगा।
कैसे गिरेगी इतनी बड़ी इमारत-
ट्विन टावर गिराने का जिम्मा एडिफाइस नाम की कंपनी को मिला है। ये काम प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की निगरानी में हो रहा है। वे बताते हैं कि हमने बिल्डिंग में 3700 किलो बारूद भरा है। पिलर्स में लंबे-लंबे छेद करके बारूद भरना होता है। फ्लोर टु फ्लोर कनेक्शन भी किया जा चुका है। मेहता ने बताया कि हम टावर गिराने में वाटरफॉल टेक्नीक इस्तेमाल कर रहे हैं। ये एक तरह का वेविंग इफेक्ट होता है, जैसे समंदर की लहरें चलती हैं। पूरी प्रोसेस उसी तरह होगी। बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरुआत होगी और 30वीं मंजिल पर खत्म होगी।
इसे इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं। इसके बाद बिल्डिंग गिरना शुरू होगी। इसमें करीब 12 सेकेंड लगेंगे। प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता का कहना है कि धमाके से हल्के भूकंप के बराबर भी झटका महसूस नहीं होगा। ब्लास्ट से धूल होगी, लेकिन कितनी, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
सुपरटेक ट्विन टावर का क्या है मामला-
- सुपरटेक ने जीएच-04 सेक्टर-93ए में जिस स्थान पर टावर-16 और 17 का निर्माण कराया। वह ग्रीन बेल्ट है। प्राधिकरण चाहता तो इस भूमि का भू-प्रयोग बदलकर यहां नियमानुसार इमारत के निर्माण की अनुमति दे सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
- तीन बार फ्लोर की संख्या को बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट को रिवाइज किया गया। दो बार में करीब 23 करोड़ पहली बार में 8 करोड़ और दूसरी बार में 15 करोड़ रुपए (ऑन रिकार्ड) देकर परचेबल एफएआर खरीदा गया। यहां प्राधिकरण ने प्रोजेक्ट की ऊंचाई को नो लिमिट रखा। इमारत की स्वीकृत ऊंचाई 121 मीटर रखी गई।
- सुपरटेक एमराल्ड को 23 नवंबर 2004 को सेक्टर-93ए में 48263 वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया गया। 21 जून 2006 को प्राधिकरण ने 6556.51 वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया। इस दौरान सुपरटेक को 1.5 एफएआर दिया गया। नियमता सिर्फ नए अलाटी को ही 2 से 2.75 एफएआर दिया जा सकता था।
- 19 नवंबर 2009 को सुपरटेक के कहने पर दूसरी बार प्लान को रिवाइज करते हुए उसने 1.5 एफएआर का 33 प्रतिशत खरीदा। यानी अब एफएआर 1.995 हो गया। यह एफएआर उसने 8 करोड़ रुपए में खरीदा।
- 26 नवंबर 2009 को प्राधिकरण ने एमराल्ड कोर्ट का दूसरा रिवाइज प्लान स्वीकृत कर दिया। ऐसा होने के साथ ही बिल्डर ने घर खरीदारों के सामने टी-16 टावर में ग्राउंड प्लस 11 और ग्राउंड प्लस 1 शापिंग कांप्लेक्स के स्थान पर दोनों टावरों में ग्राउंड प्लस 24 फ्लोर के साथ 73 मीटर ऊंचाई का नया प्लान दिया।
- इसी तरह सुपरटेक ने तीसरी बार परचेज एफएआर के लिए प्राधिकरण में आवेदन किया। प्राधिकरण ने तीसरा रिवाइज प्लान पास कर दिया। इसके तहत दोनों टावरों को ग्राउंड प्लस 24 से बढ़ाकर 40 फ्लोर का कर दिया गया। साथ की इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।
- 25 अक्टूबर 2011 को सुपरटेक ने 15 करोड़ देकर परचेबल एफएआर खरीदा। यानी एफएआर 1.995 से 2.75 कर दिया गया। एफएआर खरीदा गया और अधिकारियों की जेब भरती चली गई।
फ्लैट खरीदारों ने कैसे लड़ी ट्विन टावर को गिराने की जंग
वर्ष 2009 में दोनों टावर का निर्माण शुरू हुआ तो एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी में रह रहे लोगों ने सुपरटेक बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। नए नक्शे पास करने के बारे में जानकारी मांगी गई तो प्राधिकरण ने देने से इनकार कर दिया। इसके बाद सोसाइटी की एओए ने दिसंबर 2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया। न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया कि नियम का उल्लंघन कर ट्विन टावर के बीच की दूरी 16 मीटर के बजाए नौ मीटर रखी गई। अन्य नियम भी तोड़े गए। न्यायालय से फटकार के बाद प्राधिकरण ने नक्शा दिया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डेढ़ साल की सुनवाई के बाद 11 अप्रैल 2014 में विवादित ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। सुपरटेक बिल्डर ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को बिल्डर और प्राधिकरण गठजोड़ पर टिप्पणी करते हुए एमरॉल्ड कोर्ट के खरीदारों के पक्ष में फैसला सुनाया। इस आदेश के मुताबिक तीन महीने के अंदर ये दोनों टावर गिराए जाने थे, लेकिन तीन बार तारीख बढ़ गई। लेकिन आज ये बिल्डिंग गिराई जाएगी।
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