एडिलेड : भारतीय क्रिकेट टीम ने 70 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर पहला टेस्ट 31 रन से हराकर शानदार खेल दिखाया हैं । इस जीत के साथ भारत श्रृंखला में 1 – 0 से आगे हो गया हैं । इस टेस्ट में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी के लिए उतरी भारतीय टीम की हालत पहले दिन एक वक़्त काफ़ी पतली थी, लेकिन वहां से जीत तक पहुंचना टीम की वापसी की क्षमता का अंदाज़ा देता हैं । इस जीत में सभी ने कोई ना कोई भूमिका निभाई हैं ।
इस मैच में बहुत से टर्निंग पॉइंट रहे जिन्होंने यह मैच भारत की झोली में डाला, कुछ महतवपूर्ण टर्निंग पॉइंट इस तरह रहे –
पहली पारी में पुजारा ने उबारा
इस टेस्ट की पहली पारी का पहला दिन भारतीय बल्लेबाज़ी की वही पुरानी कहानी बता रहा था, हमेशा की तरह ऑफ़साइड से बाहर जाती गेंदों को छेड़ना और अपना विकेट गवां देना । इस खेल में 86 रनों पर आधी भारतीय टीम आउट होकर पवेलियन लौट चुकी थी और ऐसा लगा था कि पारी 150 रनों पर सिमट जाएगी, लेकिन दुसरे छोर पर खड़े चेतेश्वर पुजारा ने यह दिखाना शुरू किया कि टेस्ट बल्लेबाज़ी किसे कहते हैं । राहुल द्रविड़ के उत्तराधिकारी माने जाने वाले पुजारा ने तकनीक और आक्रामकता का बेजोड़ मेल दिखाया और टीम को 250 रनों के सम्मान जनक स्कोर तक पहुंचाया ।
पुजारा ने अपनी पारी में 246 गेंद खेलकर 123 रन बनाकर यह भी दिखाया कि फ़ास्ट और स्लो गेंदबाज़ों की ख़तरनाक गेंदों को डिफ़ेंड कैसे करना हैं और इस खेल में सयंम का कितना महत्त्व हैं । टीम का स्कोर 250 और पुजारा 123 मतलब लगभग आधे रन पुजारा के ।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन ने पुजारा के खेल को लेकर कहा कि : ”मुझे लगता है कि दोनों टीमों के बीच पुजारा का अंतर रहा ।”
कोहली ने पुजारा को लेकर बोला कि : ”हम लोग पहले दिन लंच पर लगभग हारे हुए थे लेकिन पुजारा ने कमाल कर दिखाया. उनका संयम, प्रतिबद्धता और एकाग्रता कमाल की है ।”
तो मतलब साफ़ है कि पुजारा की 123 रन की पारी इस मैच का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट रही ।
ऋषभ की विकेटकीपिंग
यह टेस्ट मैच पंत के लिए यादगार साबित होगा इस मैच में गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों के साथ – साथ ऋषभ पंत की भी तारीफ़ करनी होगी, वैसे तो टीम में काफ़ी नए हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया की मुश्किल पिचों पर विकेट के पीछे कैच लपकने में उन्होंने ज़बरदस्त कारनामा कर दिखाया हैं ।
इस मैच में पंत 11 कैच लिए, जो एक रिकॉर्ड है, उन्होंने इन 11 कैच जैक रसेल और ए बी डिविलियर्स के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की । ऐसा करने वाले पहले भारतीय विकेट कीपर बन गए हैं । इसके अलावा बल्लेबाज़ी में भी उन्होंने कुछ हाथ दिखाएं हालांकि आक्रामकता के साथ अगर वो थोड़ा संयम दिखाएंगे तो ज़्यादा बेहतर बल्लेबाज़ बन सकते हैं ।
विकेट कीपिंग और बल्लेबाज़ी के अलावा उनकी चर्चा इसलिए भी हो रही है कि वो विकेट के पीछे काफ़ी बोलते रहे जिससे कंगारू बल्लेबाज़ काफ़ी परेशान रहे । उनकी बातें स्टम्प माइक द्वारा रिकॉर्ड होकर दर्शकों को हँसाने का भी काम करती रही ।
इस मैच में पंत के 11 कैच ने भारत की झोली में इस मैच को डालने में महत्वपूर्ण टर्निंग पॉइंट की भूमिका निभाई इसमें कोई शक नहीं हैं ।
दूसरी पारी में बल्लेबाज़ जागे
पहली पारी में निराश करने के बाद दूसरी पारी में बल्लेबाजों ने संभल कर बल्लेबाज़ी करी और
ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ों ने सधी बैटिंग से ये सुनिश्चित किया कि ऑस्ट्रेलिया को चौथी पारी में 300 से ज़्यादा रनों का लक्ष्य मिले, हालांकि इस पारी में निचले क्रम की बल्लेबाज़ी ने निराश किया, वरना ये मैच भारत के लिए और आसान होता ।
इस पारी में सलामी बल्लेबाज़ों ने संभलकर गेंदों का सामना किया और कमज़ोर गेंदों पर आवश्यकतानुसार रन भी बटोरे । पहली विकेट 63 रनों पर गिरी, केएल राहुल 44, मुरली विजय 18 और विराट कोहली ने 34 रन बनाए । पहली पारी के हीरो रहे चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्ये रहाणे ने इस पारी में ज़बरदस्त भूमिका निभाई, पुजारा ने 71 और रहाणे ने 70 रनों की पारियां खेलीं, जो अंत में अहम अंतर साबित हुईं ।
गेंदबाज़ों का कमाल
टीम इंडिया के गेंदबाज़ों ने टीम वर्क दिखाया और ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी को 235 रनों पर समेट दिया और भारत को 15 रन की मामूली से लीड मिली और यह 15 रन की लीड कितनी अहम साबित हुई, इसका अंदाज़ा इस बात से लगा सकते है कि भारत ने ये मैच सिर्फ 31 रनों से जीता हैं । ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में ईशांत शर्मा ने दो, जसप्रीत बुमराह ने तीन, मोहम्मद शामी ने दो और रविचंद्रन अश्विन ने तीन विकेट लिए और ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को पूरी तरह से बांध रखा था ।
चारों बॉलर ने जबरदस्त कसी हुई गेंदबाज़ी की जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया टीम 98.4 ओवर खेलने के बावजूद सिर्फ़ 235 रन ही बना सकी ।
पहली पारी की तरह दूसरी पारी में भी भातीय गेंदबाजों ने अपने टीम वर्क को कायम रखा, तीनों तेज़ गेंदबाज़ों ने क़रीब 20-20 ओवर फेंके और अश्विन ने 53 ओवर का मैराथन स्पैल किया जिससे कंगारुओं को कोई बड़ा अवसर नहीं मिला, अश्विन एक छोर से लगे रहे और मौक़े बनाते रहे ।
इस पारी में सभी भारतीय गेंदबाज़ों को विकेट मिली । ईशांत के खाते में एक और बुमराह, अश्विन और शामी को तीन-तीन विकेट मिले ।
विराट की रणनीति
इस मैच में टीम इंडिया के कप्तान विराट की रणनीति का भी अहम् हिस्सा था । जिस तरह से भारत सिर्फ 4 गेंदबाजों के साथ ही मैदान में उतरा था, वही से स्पस्ट था कि कप्तान ने कुछ अलग ही सोच रखा हैं । विराट की रणनीति के तहत ही अश्विन का मेराथन स्पेल और समय – समय पर गेंदबाज़ी में कौनसा गेंदबाज़ था, जिसने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को टिकने नहीं दिया ।
तो इस तरह से भारत की ऑस्ट्रेलिया में 70 साल बाद पहले मैच के जीत को पक्का करने में महत्वपूर्ण भूमिका इन टर्निंग पॉइंट्स की रही हैं । अब आगे देखना है कि क्या कप्तान कोहली अपनी रणनीति के तहत इस विजय अभियान को कहा ताल ले जाते हैं ?