तिरुपति मंदिर में कैसे मची भगदड़? 6 की मौत और 40 घायल

कहा जाता है कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।

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आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Stampede) में बुधवार देर रात 9:30 बजे वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई। इस हादसे में एक महिला समेत 6 लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए हैं। हादसे के बाद 40 घायलों में से 28 को रुइया अस्पताल और 12 को सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, हालांकि दुर्भाग्य से रुइया में 4 और सिम्स में 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। मरने वालों में 5 महिलाएं और 1 पुरुष शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने फोन पर उच्च अधिकारियों से स्थिति की जानकारी ली और घटनास्थल पर जाकर राहत उपाय करने का आदेश दिया है, ताकि घायलों को बेहतर उपचार मिल सके। वे गुरुवार को तिरुपति जाकर घायलों से मिलेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने हादसे पर दुख जताया है।

कैसे मची भगदड़
हजारों श्रद्धालु पवित्र वैकुंठ एकादशी के अवसर पर दर्शन के लिए टोकन लेने पहुंचे थे। गुरुवार सुबह 5 बजे से 9 काउंटरों पर टोकन बांटने का कार्यक्रम था। तिरुपति शहर में आठ स्थान पर टिकट वितरण के केंद्र बनाए गए थे, लेकिन शुभ अवसर को लेकर श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहले ही वहां जमा हो गए और शाम को एक स्कूल पर बने केंद्र पर भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई।


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क्या है मंदिर का इतिहास
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और अमीर तीर्थस्थलों में से एक है। ये आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर बसा है। भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी। कहा जाता है कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।

मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर जब पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया। भगवान पर अब भी वो कर्ज है और श्रद्धालु इसका ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दान देते हैं। तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।

मंदिर में बालाजी के दिन में तीन बार दर्शन होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है, जो सुबह के समय होता है। दूसरा दर्शन दोपहर को और तीसरा दर्शन रात को होता है। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किए जा सकते हैं।

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