नई दिल्ली: भारत में लगातार शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए जाते हैं। आज भी हम अपने बच्चों को शिक्षा के नाम पर भारी-भरकम किताबों का बोझा उठवा रहे हैं तो वहीं एक देश भारत की पुरानी रीतियों को अपनाने की कोशिश कर रह है। ये सच है फिनलैंड एक मात्र यूरोप का ऐसा देश है जहां जल्द गुरूकुल पद्धतियों द्वारा बच्चों को शिक्षा देने की योजना बनाई है। हालांकि भारत में ऐसे कई स्कूल संचालित है।
खबरों के अनुसार, उत्तरी यूरोप के देश फिनलैंड ने जिस आधुनिक शिक्षा पद्धति को अपनाया है, उसकी जितनी तारिफ की जाए कम है। यहां पर बच्चों को स्कूलों में न तो होमवर्क देने की परंपरा है और न ही बच्चों की परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं। यहां सात साल की उम्र से बच्चों को स्कूलों में प्रवेश देने की शुरूआत हो चुकी है। स्कूल में पढ़ाई के घंटे कम और छुट्टियां अधिक दी जा रही हैं। माना जा रहा है कि बच्चों को सिर्फ खेल-खेल में शिक्षा देना चाहिए। इससे उन पर कोई मानसिक तनाव नहीं होगा। ठीक उसी तरह, जैसे भारतीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में बहुत पहले उल्लेख मिलता है।
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फिनलैंड का यह शिक्षा मॉडल पूरी दुनिया में सबसे कामयाब करार दिया गया है। खास बात यह है कि आज भी यहां शिक्षा में लगातार सुधार जारी हैं। यहां के स्कूलों में क्लासरूम वाली संस्कृति को खत्म करके ओपन प्लान के तहत खुले में शिक्षा देने की योजना को लागू किया गया है। इसके तहत पुराने क्लासरूम को मल्टी-मॉडल स्पेस में तब्दील कर दिया गया है। यह मल्टी-मॉडल कमरे कांच की दीवारों में बंटे होते हैं और दीवारों को एक जगह से दूसरी जगह पर खिसकाया जा सकता है। यहां पारंपरिक विषयों के स्थान पर थीम आधारित परियोजनाओं पर अध्ययन कराया जाता है। इसके लिए कक्षाओं में डेस्क तथा बेंच की जगह सोफासेट और गद्दे रखे गए हैं।
किताबों के बजाय प्रकृति के नजदीक ले जाते हैं स्कूल
फिनलैंड में फर्म एफसीजी के मुताबिक खुले में बच्चों को पढ़ाना उनके मानसिक स्तर के विकास को पढ़ाना है। इस प्रणाली से बच्चों में जिम्मेदारी का दायित्व निभाने की क्षमता का विकास होता है और वे अपना लक्ष्य सोच-समझकर निर्धारित करने के योग्य हो जाते हैं। यहां पर छात्रों को सिर्फ किताबों तक सीमित रखने के बजाय भारतीय गुरुकुल पद्धति के मुताबिक प्रकृति के नजदीक ले जाया जाता है। उन्हें संग्रहालयों में भी भ्रमण कराया जाता है।
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