नई दिल्ली: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के हिसाब से भारत में हर दिन 400 लोग एक्सिडेंट के कारण मारे जाते हैं। फिर भी जीरो रेटिंग से लेकर तीन स्टार रेटिंग वाली गाड़ियां भारतीय मार्केट में आसानी से बिक रही हैं। जीरो रेटिंग का मतलब किसी भी तरह के एक्सिडेंट में गाड़ी में बैठे लोगों को जान का खतरा है और तीन स्टार का मतलब है कि जान जाने का खतरा तो नहीं, लेकिन काफी चोट आ सकती है।
अब हाल ही में यूरोपीय न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (यूरो NCAP) के ताजा नतीजे सामने आ गए हैं। इनमें भारतीय मार्केट की कुछ सबसे लोकप्रिय कारों का रिजल्ट भी देखकर आपको लगेगा कि भारत की सड़कें आखिर इतनी असुरक्षित क्यों हैं। बताते चले कि इस लिस्ट में सुजुकी, टाटा, महिंद्रा, ह्युंडई कंपनियों के कई मॉडल इसमें शामिल हैं।
रेनॉल्ट डस्टर: जीरो स्टार रेटिंग के साथ डस्टर क्रैश टेस्ट में फेल हो गई है। इसके बेस मॉडल (REX) में एयरबैग्स नहीं हैं। हालांकि, मेड इन इंडिया वाली डस्टर में एयरबैग है, लेकिन इसे भी तीन स्टार रेटिंग दी गई है।
रेनॉल्ट क्विड: लगातार तीन साल जीरो रेटिंग मिलने के बाद इस कार को इस साल 1 रेटिंग मिली है। वो भी इसलिए क्योंकि ड्राइवर सीट पर एयरबैग लगा दिया गया है।
शेव्रोलेट एन्जॉय: कैब राइड की तरह पूरे भारत में इस्तेमाल की जाने वाली ये कार अडल्ट प्रोटेक्शन कैटेगरी में जीरो रेटिंग के साथ है और चाइल्ड प्रोटेक्शन में दो स्टार के साथ। कुल मिलाकर कार सेफ नहीं है।
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फोर्ड एस्पायर: इस कार में दो एयरबैग्स हैं और 10 लाख से कम कीमत वाली कारों की तुलना में ये कार थोड़ी सेफ मानी जाती है। इस कार को तीन स्टार रेटिंग में मिले हैं।
मारुति ऑल्टो: इसके एयरबैग वाले मॉडल को तो तीन स्टार रेटिंग मिली है, लेकिन बिना एयरबैग वाले मॉडल को जीरो रेटिंग मिली है। बात ये है कि ड्राइवर साइड में एयरबैग्स ऑल्टो के सभी मॉडल्स में ऑप्शनल हैं और कीमत कम करने के कारण इन्हें हटा दिया जाता है।
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डैटसन गो: जीरो रेटिंग वाली इस गाड़ी को NCAP ने मार्केट से वापस बुलवा लेने की बात कही थी। कारण ये था कि एयरबैग्स देने के बाद भी ये सेफ नहीं थी और इसकी बॉडी ऐसी थी कि क्रैश होने पर गाड़ी में सवार लोगों को सीरियस नुकसान हो सकता है।
महिंद्रा स्कॉर्पियो: स्कॉर्पियो के बेस मॉडल को जीरो रेटिंग मिली है जिसमें कोई एयरबैग नहीं है। इसके पहले वेरिएंट गेटवे पिकअप को तीन स्टार मिले थे, लेकिन क्रैश प्रूफ बॉडी न होने के कारण इस गाड़ी को जीरो रेटिंग मिली है।
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ह्युंडई ईऑन: छोटी गाड़ियों की रेंज में फेमल ह्युंडई की ये गाड़ी क्रैश टेस्ट में फेल हो गई है। ये सारा डेटा NCPA की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
भारत दुनिया का छठवां सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है और ऐसे में यहां सुरक्षित गाड़ियों की जरूरत है। शायद इसीलिए अक्टूबर से भारत न्यू वेहिकल सेफ्टी एसेसमेंट प्रोग्राम शुरू होने जा रहा है। इसके बाद क्रैश टेस्ट 64 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही गाड़ी का भी होगा। भारत में अभी ये 56 किलोमीटर की रफ्तार पर होता है जो असल रोड पर चल रही गाड़ियों की रफ्तार से काफी कम है। इसके अलावा, कई तरह से सेफ्टी रूल्स लाए जाएंगे।
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