45 साल की उम्र से पहले नहीं निकलवाएं यूट्रस और ओवरीज

0
355

लाइफस्टाइल डेस्क: आजकल महिलाओं में अनियमित पीरियड्स और ज्यादा ब्लीडिंग एक सामान्य प्रॉब्लम हो गई है। ऐसा अक्सर यूट्रस का साइज असामान्य और फ्राइब्राइड की वजह से हो सकता है, जिसका संबंध हॉर्मोन्स के असंतुलन से है। वैसे तो हार्मोेन का बैलेंस दवाइयों से ठीक किया जा सकता है, लेकिन कई बार 45 की उम्र से पहले यूट्रस के साथ ओवरीज भी निकाल दी जाती हैं। जबकि इस उम्र में हिस्टरेेक्टमी करना महिला की हैल्थ के लिए नुकसानदायक है।

यूट्रस ओवरीज निकालने पर सामान्य से 15 साल पहले आता है मैनोपॉज 
यूट्रसओवरीज निकाल देने से सामान्य से पंद्रह साल पहले महिला का सर्जिकल मैनोपॉज शुरू हो जाता है, हॉर्मोन्स बनना बंद हो जाते हैं। जबकि बड़ी गांठ होने पर सर्जरी करके यूट्रस को निकाला जाना चाहिए, अन्यथा दवाइयों से ही इसे ठीक कर सकते हैं। ब्लीडिंग होने पर हॉर्मोन्स और दवाइयां देकर इसे ठीक किया जा सकता है।

ओवरीज निकालने पर हाॅर्मोन्स नहीं बनने से हडि्डयां हो जाती हैं कमजोर 
यूट्रसका साइज बढ़ने या फिर गांठ का साइज 5 सेमी. से बड़ा होने पर यूट्रस निकाला जाना चाहिए। फिर भी महिला की उम्र ध्यान रखना जरुरी है। पैंतालीस साल से कम उम्र की महिलाओं में यूट्रस निकालने के बजाय सिर्फ गांठ ही निकालनी चाहिए। इसके साथ ही ओवरीज भी एक्टिव रहें, ताकि इनसे निकलने वाले हॉर्मोन्स को भी बचाया जा सके। इन गांठों को हिस्टरेक्टमी के बजाय हिस्ट्रोस्कॉपी के जरिए ट्रीट किया जा सकता है। कम उम्र में ओवरीज निकालने से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन्स रिलीज होना बंद हो जाता है। इससे महिलाओं में डिप्रेशन आना शुरू हो जाता है और हार्ट प्रॉब्लम का खतरा बढ़ जाता है। हडि्डयां कमजोर होने से फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ जाता है, लिहाजा यूट्रस और ओवरीज को बचाते हुए इलाज कराना बेहतर है।

कैसे पहचानें यूट्रस की दीवार बड़ी हो चुकी है 
यूट्रसवकी दीवार का साइज 1 सेमी.से 12 सेमी. तक हो जाता है। यह एडिनोमायोसिस होता है। ऐसा होने पर पीरियड के समय महिला को इतना तेज पेट दर्द हेाता है कि कई बार दो से तीन इंजेक्शन तक लगाने पड़ते हैं। इसे सीवियर डिस्मेनोरिया कहते हैं। ब्लीडिंग के समय क्लॉट आना भी इसके लक्षण हैं। ज्यादा ब्लीडिंग होने से महिला में खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है। ऐसे केसों में यूट्रस निकालना ही पड़ता है।

सफेद पानी आना कैंसर का लक्षण नहीं 
गाइनीकोलॉजिस्ट का मानना है कि ज्यादातरलोगों में यह भ्रम है कि सफेद पानी की वजह से कैंसर हो सकता है। इस ड़र के कारण भी यूट्रस और ओवरीज को सर्जरी करके निकाल दिया जाता है, जबकि यह सही नहीं है कि सफेद पानी आने के कारण कैंसर हो सकता है। आजकल हिस्टेरेक्टमी भी पेशेंट्स फ्रेंडली बन चुकी है। अब नई टेक्नीक से की-होल सर्जरी की जाती है। इसमें ओपन सर्जरी की तुलना में पेशेंट को दर्द कम होता है। पेशेंट्स को एंटीबॉयोटिक्स कम लेनी होती हैं। हॉस्पिटल में कम समय तक रुकना पड़ता है।

खबरें पढ़ने के लिए Panchdoot के Homepage पर विजिट करें।
ये भी पढ़ें:

रूचि के अनुसार खबरें पढ़ने के लिए यहां किल्क कीजिए

(खबर कैसी लगी बताएं जरूर। आप हमें फेसबुकट्विटर और यूट्यूब पर फॉलो भी करें)