सना: सीरिया के पूर्वी घोउटा में विद्रोहियों के कब्जे वाले अंतिम शहर डौमा में हुए संदिग्ध रासायनिक हमले में 80 लोगों की मौत हुई है। 1000 से ज्यादा लोग घायल हैं। स्थानीय स्वयंसेवी संस्था ह्वाइट हेलमेट्स ने हमले के बाद की तस्वीरें पोस्ट कीं हैं। इसमें शनिवार को बेसमेंट में पड़े कई शव नजर आ रहे हैं।
लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। कई स्थानीय मेडिकल और निगरानी समूहों ने भी रासायनिक हमले के बारे में जानकारी दी है। हालांकि इनके मौत के आंकड़ों में अंतर है। अमेरिकी चैरिटी संस्था यूनियन मेडिकल रिलीफ ने बताया कि दमिश्क रूरल स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने 70 लोगों की मौत की पुष्टि की है। कहा है कि बड़ी संख्या में लोगों के मुंह से झाग निकला हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसा नर्व या मिक्स नर्व और क्लोरीन गैस की अधिकता की वजह से हुआ है। हालांकि सीरियाई सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है।
हेलीकॉप्टर से बैरल बम में गिराई गैस
घोउटा मीडिया सेंटर का कहना है कि हेलीकॉप्टर से नर्व एजेंट सरीन से युक्त बैरल बम गिराया गया है। वहीं, सरकारी एजेंसी सना ने कहा है कि सीरियाई अरब सेना को किसी कैमिकल की जरूरत नहीं है। यह झूठी खबर आतंकवादी समूह जैश-अल-इस्लाम ने फैलाई है।
सीरिया में 2013 में पहली बार केमिकल अटैक किया गया था
सरीन नर्व एजेंट का इस्तेमाल सीरिया में पहले भी हो चुका है। 2013 में सीरियाई सेना ने पूर्वी घोउटा में राकेट से सरीन नर्व एजेंट छोड़ा था। इसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे। सीरियाई सेना ने अप्रैल 2017 में खान शेखाउन में केमिकल वेपंस का इस्तेमाल किया था। इसमें 80 मारे गए थे। इस साल की शुरुआत में भी सीरिया सेना विद्रोहियों के खिलाफ गैस का इस्तेमाल किया था।
अमेरिका: इस हमले के लिए असद और रूस जिम्मेदार हैं
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि हमने कई परेशान कर देने वाली रिपोर्ट देखी हैं। इन मौतों के लिए राष्ट्रपति बशर अल-असद की सेना और रूस जिम्मेदार है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा है कि इस मूर्खता पूर्ण केमिकल हमले में कई बच्चे और महिलाएं मारी गई हैं। ये बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। राष्ट्रपति पुतिन और ईरान जानवर असद का समर्थन करने के लिए जिम्मेदार हैं। वे इलाके को जल्द खोलें।
सात साल में चार लाख से ज्यादा लोग सीरिया में जान गंवा चुके हैं
2011 में एक छोटी-सी घटना ने सीरिया में सिविल वॉर का रूप ले लिया। 2011 से लेकर 2012 तक जगह-जगह सुसाइड बम ब्लास्ट हुए। आईएस ने कई इलाकों पर कब्जा कर लिया। 2015 में रूस ने राष्ट्रपति बशर अल-असद को समर्थन दिया। अमेरिका पर आरोप है कि वह असद के खिलाफ विद्रोहियों की मदद कर रहा है। सीरिया में अब तक 4 लाख से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।
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