लंदन: मंगलवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दमिश्क के उत्तर में स्थित सेदनाया सैन्य जेल में हर हफ्ते 20 से 50 लोगों को फांसी दी जाती है। इसके मुताबिक सीरिया में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के गृह युद्ध में तब्दील होने के बाद चार साल के दौरान 5 हजार से 13 हजार लोगों को फांसी दी जा चुकी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फांसी की ये सजाएं 2011 से 2015 के बीच दी गई हैं लेकिन ऐसे संकेत हैं कि यह सिलसिला अब भी जारी है। बताया गया है कि वकील और ट्रायल के बगैर केवल यातना देकर अपराध कबूल कराया जाता है और अपराधियों को फांसी की सजा दे दी जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक लोगों को फांसी देने का काम गुपचुप तरीके से होता है और मारे गए लोगों को दमिश्क के बाहर सामूहिक कब्रों में दफन कर दिया जाता है और उनके परिजनों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती। यह रिपोर्ट 84 चश्मदीदों के साथ हुई बातचीत पर आधारित है, जिनमें जेल के पूर्व गार्ड, अधिकारी, कैदी, जज और वकीलों के साथ साथ सीरिया में लोगों को हिरासत से जुड़े मामलों पर विशेषज्ञ भी शामिल हैं।
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एमनेस्टी ने अपने रिपोर्ट में लिखा है, ‘इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी। उन्हें उनकी गर्दनों में फंदा डाले जाने तक यह भी नहीं पता होता था कि वह कैसे और कब मरने वाले हैं।‘ पीड़ितों में अधिकतर आम नागरिक थे जिनके बारे में ऐसा माना जाता था कि वे राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सरकार के विरोधी थे। फांसी के गवाह रहे एक पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘वे उन्हें 10 से 15 मिनट तक फांसी पर लटकाए रखते थे।‘
एमनेस्टी के मुताबिक, सीरिया की सरकार को समर्थन देने वाले रूस और ईरान लोगों को इस तरह फांसी दिए जाने की निंदा करें और इसे रोकने के लिए वे जो कर सकते हैं, उन्हें करना चाहिए।