अब चला बुलडोजर तो ‘अफसर बनाकर देगा आपका मकान’, सुप्रीम कोर्ट ने जारी की 15 गाइडलाइन

गाइडलाइन का पालन न करना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। इसका जिम्मेदार अधिकारी को माना जाएगा और उसे गिराए गए निर्माण को दोबारा अपने खर्च पर बनाना होगा और मुआवजा भी देना होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने ये भी कहा कि 15 दिन के नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो अफसर के खर्च पर दोबारा बनाना पड़ेगा। अदालत ने 15 गाइडलाइंस भी दीं।

कोर्ट ने कहा, जीवनभर की मेहनत के बाद परिवार एक मकान बना पाता है। इसे सरकारें यूं हीं नहीं तोड़ सकती है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्‍शन को लेकर लंबी चौड़ी गाइडलाइन जारी की है, जिनका मकसद सरकारों को इस तरह की कार्रवाई से रोकना है। सरकारी तंत्र के पास यह पूरा अधिकार है कि वो अवैध रूप से बनाए गए मकान पर एक्‍शन लें। कोर्ट ने कहा किसी एक की गलती से सबको मकान से वंचित नहीं किया जा सकता। भारत के संविधान की धारा-142 के तहत नई गाइडलाइन जारी की गई है।

बता दें, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सरकार ने आरोपियों के घर बुलडोजर से तोड़ दिए थे। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें प्रॉपर्टी तोड़ने को लेकर गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई थी।

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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

1. अगर बुलडोजर एक्शन का ऑर्डर दिया जाता है तो इसके खिलाफ अपील करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए।

2. रातोंरात घर गिरा दिए जाने पर महिलाएं-बच्चे सड़कों पर आ जाते हैं, ये अच्छा दृश्य नहीं होता। उन्हें अपील का वक्त नहीं मिलता।

3. हमारी गाइडलाइन अवैध अतिक्रमण, जैसे सड़कों या नदी के किनारे पर किए गए अवैध निर्माण के लिए नहीं है।

4. शो कॉज नोटिस के बिना कोई निर्माण नहीं गिराया जाएगा।

5. रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए कंस्ट्रक्शन के मालिक को नोटिस भेजा जाएगा और इसे दीवार पर भी चिपकाया जाए।

6. नोटिस भेजे जाने के बाद 15 दिन का समय दिया जाए।

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7. कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी जानकारी दी जाए।

8. डीएम और कलेक्टर ऐसी कार्रवाई पर नजर रखने के लिए नोडल अफसर की नियुक्ति करें।

9. नोटिस में बताया जाए कि निर्माण क्यों गिराया जा रहा है, इसकी सुनवाई कब होगी, किसके सामने होगी। एक डिजिटल पोर्टल हो, जहां नोटिस और ऑर्डर की पूरी जानकारी हो।

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10. अधिकारी पर्सनल हियरिंग करें और इसकी रिकॉर्डिंग की जाए। फाइनल ऑर्डर पास किए जाएं और इसमें बताया जाए कि निर्माण गिराने की कार्रवाई जरूरी है या नहीं। साथ ही यह भी कि निर्माण को गिराया जाना ही आखिरी रास्ता है।

11. ऑर्डर को डिजिटल पोर्टल पर दिखाया जाए।

12. अवैध निर्माण गिराने का ऑर्डर दिए जाने के बाद व्यक्ति को 15 दिन का मौका दिया जाए, ताकि वह खुद अवैध निर्माण गिरा सके या हटा सके। अगर इस ऑर्डर पर स्टे नहीं लगाया गया है, तब ही बुलडोजर एक्शन लिया जाएगा।

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13. निर्माण गिराए जाने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाए। इसे सुरक्षित रखा जाए और कार्रवाई की रिपोर्ट म्युनिसिपल कमिश्नर को भेजी जाए।

14. गाइडलाइन का पालन न करना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। इसका जिम्मेदार अधिकारी को माना जाएगा और उसे गिराए गए निर्माण को दोबारा अपने खर्च पर बनाना होगा और मुआवजा भी देना होगा।

15. हमारे डायरेक्शन सभी मुख्य सचिवों को भेज दिए जाएं।

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