क्या है 26 वीक प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन केस, कैसे देगा सुप्रीम कोर्ट इतना कठिन फैसला, पढ़ें पूरा मामला?

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27 साल की महिला 26 हफ्ते का गर्भ गिराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Abortion Case) में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट में 26 हफ्ते की गर्भावस्था खत्म करने की याचिका पर गुरुवार को तीन जजों की बेंच में सुनवाई हुई। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने याचिका करने वाली महिला के वकील से पूछा कि 26 सप्ताह तक इंतजार करने के बाद, क्या वह कुछ दिन और इंतजार नहीं कर सकती।

बेंच ने कहा- हमें अजन्मे बच्चे के अधिकार को मां के अधिकार के साथ बैलेंस करने की जरूरत है। वो एक जीवित भ्रूण है। क्या आप चाहते हैं कि हम AIIMS के डॉक्टरों को उसके दिल को रोकने के लिए कहें, हम ऐसा नहीं कर सकते। हम किसी बच्चे को नहीं मार सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने ASG ऐश्वर्या भाटी और महिला की वकील को इस संबंध में आवेदन करने वाली महिला से बात करने कहा। इस केस में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।

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कैसे पहुंचा चीफ जस्टिस के पास ये मामला
अदालत में बुधवार को प्रेगनेंट महिला की ओर से कहा गया कि वह प्रेगनेंसी को नहीं रखना चाहती है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने कहा कि एम्स की नई रिपोर्ट में मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर ने कहा है कि इस बात की संभावना है कि बच्चा जिंदा पैदा हो सकता है। ऐसे में आदेश को वापस लिया जाना चाहिए। तब जस्टिस हीमा कोहली ने कहा कि न्यायिक चेतना कहती है कि प्रेगनेंसी टर्मिनेशन की इजाजत न दी जाए।

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वहीं, जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि इस मामले में बच्चा पैदा हो सकता है या नहीं, यह मुद्दा नहीं था। यहां प्राथमिकता बच्चे की मां का है। वह दो बच्चों की मां है और दूसरा बच्चा एक साल का है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। साथ ही उसकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है और वह मेडिसिन ले रही है। ऐसे में 9 अक्टूबर को जो आदेश दिया गया था, उसका आदर होना चाहिए। उस आदेश में दखल की जरूरत नहीं लगती। दोनों ही जजों के अलग ओपिनियन के बाद अब चीफ जस्टिस के सामने मामला है। ऐसे में मामला अब बड़ी बेंच के सामने आएगा और तब तस्वीर साफ हो पाएगी।

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3 सुनवाई में क्या हुआ….

  • 11 अक्टूबर : बुधवार को 26 हफ्ते की प्रेग्नेंट शादीशुदा महिला के अबॉर्शन केस में बेंच की दोनों जजों की राय अलग रही। जस्टिस हिमा कोहली प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने के पक्ष में नहीं थीं, लेकिन जस्टिस बीवी नागरत्ना उनसे सहमत नहीं थीं। दोनों जजों के बीच असहमति को देखते हुए मामले को बड़ी बेंच के पास रेफर कर दिया गया।
  • 10 अक्टूबर : कोर्ट ने याचिकाकर्ता को AIIMS के गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में जाने को कहा था और AIIMS के डॉक्टरों को निर्देश दिया था कि महिला का चेकअप करके जल्द से जल्द उसकी प्रेग्नेंसी टर्मिनेट कर दी जाए, लेकिन डॉक्टरों ने मंगलवार शाम जानकारी दी कि भ्रूण के जीवित रहने की संभावना है, जिसके बाद कोर्ट ने इस आदेश को वापस ले लिया।
  • 9 अक्टूबर : सुनवाई के दौरान बेंच ने 27 साल की महिला को अनचाहे गर्भ को अबॉर्ट करने की अनुमति दी थी। महिला ने कोर्ट को बताया था कि वह दो बच्चों की मां है और डिप्रेशन से जूझ रही है। उसने अपने मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक पहलुओं का हवाला देते हुए कहा कि वह तीसरा बच्चा पालने की स्थिति में नहीं है।

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