Stock market crash: ट्रंप के टैरिफ से शेयर बाजार में हड़कंप, क्रैश हुआ मार्केट, जानें सबकुछ

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर व्यापार शुल्क लगा दिया है। इसकी वजह से सोमवार को भारतीय शेयर बाजारों में भारी (share market down) गिरावट देखी गई। निफ्टी 50 इंडेक्स 152.05 अंक या 0.66 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,940.15 पर खुला, जबकि बीएसई सेंसेक्स 490.03 अंक या 0.64 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75,700.43 पर खुला।

शुरुआती कारोबार में आज निफ्टी मीडिया, मेटल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स को सबसे ज्यादा झटका लगा। निफ्टी आईटी में भी 0.92 प्रतिशत की गिरावट आई। निफ्टी 50 शेयरों में से केवल चार हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि बाकी लाल निशान में थे। अन्य एशियाई बाजारों की बात करें, तो जापान के निक्केई गिरावट और हांगकांग के हैंग सेंग इंडेक्स में मामूली वृद्धि हुई। ताइवान और दक्षिण कोरिया के बाजार बंद रहे।

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘अवैध प्रवासियों’ को वापस भेजने का वादा किया था। इसी कड़ी में दो अमेरिकी सैन्य विमान कोलंबिया के निर्वासित अप्रवासियों को वापस लेकर गए थे। लेकिन, कोलंबिया सरकार ने विमानों को उतरने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद ट्रंप ने कोलंबिया से आयात होने वाली चीजों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान कर दिया। अब कोलंबिया ने होंडुरास से अप्रवासियों को ले जाने के लिए अपने राष्ट्रपति विमान का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। हालांकि, बाजार की मिजाज अब खराब हो चुका है और निवेशकों का जोर बिकवाली पर है।

अब सवाल यह है कि इसका भारतीय बाजार पर क्या असर होगा?

1. व्यापार में बदलाव
अगर कोलंबिया पर व्यापार शुल्क बढ़ेगा, तो अमेरिका को कोलंबिया से कुछ उत्पादों की आपूर्ति कम हो सकती है। इससे भारत के लिए एक मौका बन सकता है, क्योंकि भारत कोलंबिया के कुछ उत्पादों का प्रतिस्थान (substitute) बन सकता है। उदाहरण के लिए, कोलंबिया से आने वाली कृषि उत्पादों या खनिजों के लिए भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में भेजने का अवसर बढ़ सकता है।

2. भारतीय निर्यातकों को फायदा
भारत के निर्यातक जो अमेरिका में व्यापार करते हैं, उन्हें इस बदलाव से फायदा हो सकता है। अगर कोलंबिया से कुछ उत्पाद महंगे हो जाते हैं, तो अमेरिकी कंपनियां भारतीय उत्पादों की ओर रुख कर सकती हैं। इससे भारत का निर्यात बढ़ सकता है और व्यापारिक संबंधों में सुधार हो सकता है।

3. अमेरिकी उत्पादों पर असर
अमेरिका में भी कुछ उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि अब कोलंबिया से कुछ उत्पाद महंगे हो गए हैं। इसके चलते, अमेरिका में कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिसका असर भारतीय बाजार में भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ खास कच्चे माल या कृषि उत्पादों की कीमतों में उछाल आ सकता है, जो भारतीय उत्पादों की कीमतों को प्रभावित कर सकता है।

4. भारतीय व्यापार नीति पर दबाव
अगर अमेरिकी नीति में इस तरह के बदलाव आते रहते हैं, तो भारत को अपनी व्यापार नीति में कुछ समायोजन करने की आवश्यकता हो सकती है। यह विशेष रूप से भारतीय निर्यातकों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा, ताकि वे अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।

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किन सेक्टरों में आई भारी गिरावट
शुरुआती कारोबार के दौरान सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 26 में गिरावट और 4 में बढ़त देखने को मिल रही है। IT, एनर्जी और ऑटो शेयर्स में ज्यादा गिरावट देखने को मिल रही है।

1. बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के शेयरों में आज काफी गिरावट देखी गई। मुख्य रूप से पब्लिक सेक्टर बैंक (PSBs) और प्राइवेट बैंकों के शेयरों में दबाव बना रहा। इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं, जैसे कि वैश्विक मंदी के संकेत, बढ़ती ब्याज दरों के बारे में चिंताएं, और कुछ बैंकों के तिमाही परिणामों में उम्मीद से कम प्रदर्शन।

2. ऑटोमोबाइल सेक्टर: ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी आज गिरावट आई। इस सेक्टर के प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली हुई। कारण हो सकता है कि बाजार में मांग में कमी के संकेत, उत्पादन लागत में वृद्धि और कुछ कंपनियों की तिमाही नतीजों में निराशाजनक प्रदर्शन। इसके अलावा, कच्चे माल की बढ़ती कीमतों का असर भी इस सेक्टर पर पड़ा।

3. मेटल्स और खनन: मेटल्स और खनन सेक्टर में भी गिरावट आई, खासकर स्टील और कॉपर के शेयरों में। वैश्विक धातु की कीमतों में गिरावट और चीन जैसे प्रमुख देशों में मांग में कमी के कारण इस सेक्टर को दबाव का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, इन कंपनियों के द्वारा किए गए निवेश और उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण भी नकारात्मक असर पड़ा।

4. रियल एस्टेट: रियल एस्टेट सेक्टर में भी आज भारी गिरावट दर्ज की गई। बढ़ती ब्याज दरों और महंगी ऋण दरों के कारण घरों और संपत्तियों की बिक्री में मंदी आ सकती है। इसके अलावा, रियल एस्टेट कंपनियों की नकदी प्रवाह समस्याओं ने भी इस सेक्टर को दबाव में रखा। इस सेक्टर में निवेशक कुछ समय के लिए सतर्क दिखाई दे रहे हैं।

5. ऊर्जा और तेल: ऊर्जा और तेल सेक्टर में भी गिरावट आई। वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, बढ़ती आपूर्ति समस्याएं, और पर्यावरणीय मुद्दों के कारण इस सेक्टर के शेयरों पर दबाव था। इसके अलावा, कुछ प्रमुख ऊर्जा कंपनियों के तिमाही परिणाम भी उम्मीदों से कम आए, जिससे निवेशकों ने बिकवाली की।

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