बिजनेस डेस्क: ऑटो सेक्टर जोरदार मंदी के दौर से गुजर रहा है। कारों की बिक्री में 19 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। इसके चलते ऑटो सेक्टर में 15,000 लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और 10 लाख से ज्यादा नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। ऑटो सेक्टर के बाद टेक्सटाइल सेक्टर का एक विज्ञापन सुर्खियों में आ गया है।
अंग्रेज़ी समाचारपत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के आधे पेज पर छपा विज्ञापन चर्चा में है। इस विज्ञापन के मुताबिक दावा किया गया है कि इन वजहों से टेक्सटाइल इंडस्ट्री का एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले (अप्रैल-जून) करीब 35% घटा है। इससे इंडस्ट्री की एक तिहाई क्षमता भी कम हुई है। उनकी स्थिति ऐसी भी नहीं है कि वे भारतीय कपास खरीद सकें, सो, कपास की आगामी फसल का कोई खरीदार नहीं होगा। अनुमान है, 80,000 करोड़ रुपये का कपास उगने जा रहे है, इसका असर कपास के किसानों पर भी होगा”
बता दें कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री करीब 10 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है। साथ ही ये इंडस्ट्री किसानों के उत्पाद जैसे कपास, जूट वगैरह भी खरीदती है। इस विज्ञापन के जरिए इंडस्ट्री इस पर सरकार का ध्यान खींचना चाहती है कि सरकार इस इंडस्ट्री की दिक्कतों को हल करने के बारे में सोचे। दावा ये भी किया जा रहा है कि टेक्सटाइल सेक्टर में 25 से 50 लाख के बीच नौकरियां गई हैं। धागों का निर्यात 33 प्रतिशत घटा है।
आपको बता दें, ये विज्ञापन सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लोगों का गुस्सा फूट रहा है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने दावा किया था कि 1 करोड़ रोजगार पैदा होंगे, लेकिन इस विज्ञापन को देखकर लग रहा सब उल्टा ही हो रहा है।
रघुराम राजन ने दिया बयान-
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश में स्लोडाउन भारी चिंता की बात है। सरकार को जल्द से जल्द बिजली और एनबीएफसी सेक्टर के संकट से निपटना होगा और प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए सुधार लागू करने होंगे।
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