अब डॉक्टर नहीं ये सेल्फी ऐप खोलेगा आपकी बीमारी के सभी राज

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के वैज्ञानिक 13 सितंबर को बिलीस्क्रीन सेल्फी एप को लॉन्च करेंगे, ट्रायल 87% सफल

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वॉशिंगटन: अब स्मार्टफोन से सेल्फी लेकर पैन्क्रियाटिक (अग्नाश्य) कैंसर, हेपेटाइटिस और गिलबर्ट सिंड्रोम के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सेल्फी एप बनाया है, जो आंख में बिलीरुबिन के लेवल को बताता है। बिलीरुबिन एक पीला पदार्थ है, जो पित्त में पाया जाता है। इन सभी बीमारियों में आंखों के सफेद भाग का रंग पीला हो जाता है। खासकर पैन्क्रियाटिक कैंसर में, जिसका एक मात्र लक्षण आंखों का पीला होना होता है।

यह सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है। इसी वजह से इसका पता काफी बाद में चल पाता है और तब तक मरीज के बचने की उम्मीद खत्म हो जाती है। पैन्क्रियाटिक कैंसर काफी खतरनाक है, इसमें मरीज के बचने की सिर्फ 9 फीसदी ही उम्मीद होती है। वह अधिकतम पांच साल जिंदा रह सकता है।

इस सेल्फी एप को यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के वैज्ञानिकों ने बनाया है। पहले क्लीनिकली ट्रायल में यह 87% सफल रहा है। इसमें करीब 70 मरीजों का बिलीस्क्रीन एप से टेस्ट किया गया। अब वैज्ञानिक 13 सितंबर को हवाई में इस एप को लॉन्च करेंगे। उनका कहना है कि इस सेल्फी एप से पैन्क्रियाटिक कैंसर से होने वाली मौतों में कमी आएगी। दरअसल, अभी तक बिलीरुबिन के लेवल का पता सिर्फ ब्लड टेस्ट के जरिए किया जा सकता है। इसलिए अधिकतर लोग रूटीन में यह टेस्ट नहीं करा पाते हैं, साथ ही यह टेस्ट महंगा भी होता है।

सेल्फी एप इस तरह करता है काम 
बिलीस्क्रीनएक सेल्फी एप है। जिसे हम स्मार्टफोन में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह एप अपने आप सेल्फी तस्वीरों को कलेक्ट कर लेता है। वैज्ञानिकों ने एप में कम्प्यूटर विजन सिस्टम लगा रखा है, जो तस्वीरों में आंखों के सफेद भाग से कलर इनफार्मेशन जुटाता है। इसके बाद बिलीरुबिन लेवल बताता है। टीम ने अलग-अलग लाइट कंडीशन के लिए दो एसेसरीज भी जारी की हैं। ये पेपर ग्लासेज और थ्रीडी प्रिंटेड बाॅक्स हैं।

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पिता की हुई थी बीमारी से मौत इसलिए बनाया एप 
बिलीस्क्रीनएप को बनाने वाले वैज्ञानिकों की टीम के को-ऑथर डॉ. जिम टेलर के पिता की पैन्क्रियाटिक कैंसर से 70 साल की उम्र में मौत हो गई थी। जिम कहते हैं कि यह काफी भयानक बीमारी है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण को पता कर पाना बहुत ही मुश्किल काम है। मेरे पिता की भी इसी वजह से मौत हो गई थी। एप को बनाने का मकसद दुनिया में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जिंदगी को इस बीमारी से बचाना है। सेल्फी एप की मदद से लोग समय रहते इलाज करा सकेंगे।

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