समलेटी बमकांड: 23 साल बाद बरी हुए कश्मीरियों ने सुनाई अपनी आपबीती, Video हुआ वायरल

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जयपुर: कैसी होगी वो जिंदगी जब आपको मालूम ही नहीं कि आपको किस बात की सजा दी जा रही है। दरअसल 22 मई 1996 को बीकानेर से आगरा जा रही राजस्थान रोडवेज की बस में बम धमाका हुआ था। इसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 37 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद मामले में 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें से अब तक 7 लोग बरी हो चुके हैं।

राजस्थान हाईकोर्ट ने 1996 के समलेटी बमकांड मामले में आरोपित लतीफ अहमद बाजा, अली भट्ट, मिर्जा निसार, अब्दुल गोनी और रईस बेग को बरी कर दिया। ये लोग 23 साल जेल में गुजराने के बाद बेगुनाह साबित हुए हैं। 23 जुलाई को रिहाई के बाद से अब ये अपनी बिखरी हुई जिंदगी सहेजना चाहते हैं। इन्हें ना तो किसी से शिकायत है और ना ही किसी तरह के मुआवजे की चाहत, ये बस आगे की बची जिंदगी में अतीत के साये को नहीं देखना चाहते हैं।

क्यों बनाया गया आरोपी-
राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने बीते 22 जुलाई को रईस बेग (56), जावेद खान, लतीफ अहमद वाजा (42), मोहम्मद अली भट (48), मिर्जा निसार हुसैन (39) और अब्दुल गनी (57) को बरी कर दिया। इस मामले में हाईकोर्ट ने डॉ. अब्दुल हमीद को सुनाई गई मौत की सजा और पप्पू उर्फ सलीम को मिली उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। बताया जाता है कि दौसा जिले की बांदीकुई की सत्र अदालत ने सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने और विस्फोटक अधिनियम के तहत आरोपी बनाया था।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें-
रिहा होने के बाद अपने घर श्रीनगर पहुंचे मोहम्मद अली भट ने पिता की कब्र के पास रोते हुए कहा, ‘मैं चाहता था कि रिहा होने के बाद मेरे पिता मुझे अपने गले लगाएं ताकि मैं उन्हें बता सकता कि मैं घर आ गया हूं।’ ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इसी के साथ अन्य रिहा हुए लोगों ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनके साथ क्या हुआ था और अब क्या हो रहा है। उन्हें घर वापसी की बेहद खुशी है लेकिन यहां सबकुछ इतना बदला हुआ है कि कुछ समझ नहीं आ रहा।

पुलवामा हमले पर हुई थी कड़ी निंदा-
रिहा हुए जम्मू लोगों का कहना है कि जब वह जेल में थे और पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था तो उन्हें उसके लिए भी कैदियों द्वारा दोषी ठहराया जा रहा था। उन्हें जेल में पाकिस्तानी, आतंकी आदी नामों से ताने सुनने पड़ते थे। बरी किए गए लोगों में सबसे छोटे मिर्जा निसार ने कहा, ‘मैं इस नई दुनिया के साथ अभी सामंजस्य नहीं बिठा पा रहा हूं। मैं बिस्तर पर नहीं सो पा रहा हूं क्योंकि मैं फर्श पर सोने का आदि हो चुका हूं।’ 39 वर्षीय निसार को जब गिरफ्तार किया गया तब वह सिर्फ 17 साल के थे। उन्होंने कहा अब वह शादी करना चाहते हैं और अपना घर बसाकर एक नई जिंदगी शुरू करना चाहते हैं।

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