खतरे के निशान के पार पहुंची महंगाई, जानिए अब क्या करेगा आरबीआई

महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे।

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आम जनता की जेब पर बड़ा असर पड़ने वाला है क्योंकि एक बार फिर महंगाई ने बड़ा झटका दिया है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई ( Retail inflation rises) 6.21 फीसदी पर पहुंच गई। यह महंगाई का 14 महीनों का उच्चतम स्तर है। इससे पहले यह रिकॉर्ड अगस्त 2023 के नाम था, जब महंगाई 6.83 फीसदी के स्तर पर थी। सितंबर 2024 में खराब मौसम और सब्जियों के महंगे होने से रिटेल इन्फ्लेशन बढ़कर 5.49 फीसदी पर पहुंच गई थी। अक्टूबर में भी खाने-पीने की चीजों के दाम में उछाल दिखा, जिसके चलते महंगाई दर में एक्सपर्ट के अनुमान से भी अधिक उछाल दिखा है।

महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महंगाई महीने-दर-महीने आधार पर 9.24% से बढ़कर 10.87% हो गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 5.87% से बढ़कर 6.68% और शहरी महंगाई 5.05% से बढ़कर 5.62% हो गई है।

सब्जियों की कीमत बढ़ी
हाल ही में आई रोटी चावल दर रिपोर्ट में सामने आया है कि अक्टूबर में घर की बनी थाली की कीमत 20 परसेंट तक बढ़ गई है जिसकी वजह सब्जियों की कीमतों में हुआ भारी इज़ाफा है। बीते महीने प्याज, आलू और टमाटर जैसी जरुरी सब्जियों के दाम में काफी इजाफा हुआ है। इस महंगाई का सीधा असर घर की थाली पर पड़ा है। ऐसे में आम लोगों के लिए रोजाना की जरूरतों का खर्च उठाना अब पहले से भी मुश्किल हो गया है। प्याज, उसकी कीमतें कई जगह 60 से 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं। वहीं, टमाटर और आलू के दाम भी 30 से 40 परसेंट तक बढ़ गए हैं।

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अब क्या करेगा आरबीआई
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को खुदरा महंगाई 4 फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी है। इसमें 2 फीसदी घट-बढ़ हो सकता है। इसका मतलब है कि महंगाई अगर 2 से 6 फीसदी के दायरे में रहती है, तो यह केंद्रीय बैंक के लिए संतोषजनक आंकड़ा होता है।

लेकिन, इस दायरे के बाहर जाते ही महंगाई सरकार और आरबीआई के लिए चिंता का कारण बन जाती है। अब अक्टूबर में महंगाई 6 फीसदी के पार पहुंच गई है। ऐसे में आरबीआई की चिंता बढ़ी होगी और हो सकता है कि वह इस बारे में कोई उपाय भी करे। अमूमन, ऐसी परिस्थिति में केंद्रीय बैंक ब्याज दर बढ़ा देते हैं।

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कैसे बढ़ती-घटती है मंहगाई?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

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