राम मंदिर, अयोध्या ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी दान की राशि में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की है। इस मंदिर ने भारत के कई प्रमुख मंदिरों को दान के मामले में पीछे छोड़ दिया है। महाकुंभ के कारण भी राम मंदिर में रोजाना लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें
प्राण प्रतिष्ठा से अब तक राममंदिर के लिए भक्तों ने दिल खोलकर दान दिया है। देखते ही देखते दानराशि का अंबार लग गया है। चढ़ावे के मामले में राम मंदिर देश का तीसरा सबसे बड़ा धर्म स्थल बन चुका है। आइए जानते हैं राम मंदिर में सालाना यहां कितना चढ़ावा आता है और जानते हैं भारत के प्रमुख मंदिर जो अब राम मंदिर से पीछे रह गए हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, राम मंदिर में सालाना चढ़ावा 700 करोड़ के पार पहुंच चुका है। अनुमान के मुताबिक महाकुंभ के एक माह में लगभग 15 करोड़ से ज्यादा का दान जमा हुआ है।
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शिरडी साईं बाबा मंदिर: शिरडी साईं बाबा मंदिर भी एक अत्यधिक प्रसिद्ध और अमीर मंदिर है, जिसकी सालाना आय ₹1000-1200 करोड़ के आसपास है। हालांकि, राम मंदिर ने अपनी बढ़ती हुई दान राशि से अब इस मंदिर को पीछे छोड़ दिया है। अयोध्या के राम मंदिर को श्रद्धालुओं से मिलने वाला दान अब इस मंदिर के दान से कहीं अधिक हो गया है, खासकर पिछले कुछ वर्षों में, जब राम मंदिर के निर्माण और धार्मिक गतिविधियों ने दान को तेज़ी से बढ़ाया।
2. सिद्धिविनायक मंदिर (मुंबई): सिद्धिविनायक मंदिर, जो मुंबई का प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिर है, उसकी सालाना आय लगभग ₹1250 करोड़ तक है। सिद्धिविनायक को श्रद्धालुओं से दान मिलता है, लेकिन राम मंदिर की आय में निरंतर वृद्धि ने अब इसे पीछे छोड़ दिया है। खासकर राम मंदिर के निर्माण कार्य के चलते, श्रद्धालुओं और दानदाताओं से मिल रही चढ़ावे की राशि में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें
3. केदारनाथ और बद्रीनाथ (उत्तराखंड): उत्तराखंड के ये दो प्रमुख हिमालयी मंदिर, जो अपनी आध्यात्मिक और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं, अब दान के मामले में राम मंदिर के मुकाबले कुछ पीछे हैं। इन मंदिरों की आय भी सालाना ₹1000-1200 करोड़ तक है, लेकिन राम मंदिर ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी दान राशि में तेज़ी से वृद्धि की है, विशेषकर जब से अयोध्या में मंदिर निर्माण कार्य शुरू हुआ है।
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4. वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर: काशी विश्वनाथ मंदिर, जो वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में स्थित है, अपनी आय में लगातार वृद्धि देख रहा है, और इसकी आय सालाना ₹700-800 करोड़ तक पहुंचती है। लेकिन राम मंदिर ने इस मंदिर के मुकाबले अपनी दान राशि को बढ़ाया है। काशी विश्वनाथ मंदिर की आय के स्रोतों में मुख्यतः श्रद्धालु चढ़ावा और स्मारिका बिक्री शामिल है, लेकिन राम मंदिर की नए तरीकों से चढ़ावा जुटाने की रणनीतियों ने इसे पीछे छोड़ दिया है।
5. तिरुपति बालाजी (आंध्र प्रदेश): तिरुपति बालाजी, जो भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है, उसकी आय ₹2000 करोड़ से अधिक है। हालांकि, यह अभी भी राम मंदिर से अधिक है, लेकिन राम मंदिर के बढ़ते दान और विशेष आयोजनों के कारण राम मंदिर की आय में तेजी से वृद्धि हो रही है। आने वाले वर्षों में, जैसे ही राम मंदिर का पूरा निर्माण कार्य संपन्न होगा, यह आय के मामले में तिरुपति के साथ बराबरी पर आ सकता है।
क्यों बढ़ी राम मंदिर की दान राशि?
राम मंदिर की बढ़ती दान राशि के पीछे कई कारण हैं:
निर्माण कार्य: अयोध्या में मंदिर का निर्माण कार्य एक विशाल धार्मिक उत्सव में बदल चुका है, जिससे देशभर से लोग दान देने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
ऑनलाइन दान: राम मंदिर ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जिससे विदेशों में बसे भारतीयों के लिए दान करना आसान हो गया है।
धार्मिक महत्त्व और मीडिया कवरेज: राम मंदिर के आध्यात्मिक महत्त्व के कारण लोगों में इसे दान देने की प्रेरणा अधिक बढ़ी है। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें
राजनीतिक समर्थन: विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक पार्टियों से मिलने वाला समर्थन भी दान राशि में योगदान दे रहा है।
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