Rajasthan Election: सांसद ज्योति मिर्धा ने बदली पार्टी, अब इस पार्टी से नागौर से लड़ेंगी चुनाव

राजस्थान की राजनीति में मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। किसान जाट समुदाय में मिर्धा परिवार का होल्ड रहा है। हालांकि ज्योति मिर्धा  नागौर से लगातार दो चुनाव हार चुकीं हैं।

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नजदीक आते राजस्थान विधानसभा चुनाव और यहां की राजनीति में आते उथल-पुथल अब सामान्य से बात लगती है। जैसी कि अब खबर आई है कि नागौर से पूर्व सांसद और दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा (Jyoti Mirdha ) भाजपा से चुनाव लड़ेंगी।

राजनीति में रुचि लेने वालों के लिए बता दें, ज्योति मिर्धा को हनुमान बेनीवाल के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। ज्योति मिर्धा राजस्थान की राजनीति में बड़ा नाम हैं। प्रदेश के जाट समुदाय में मिर्धा परिवार की अच्छी पकड़ रही है। कांग्रेस ने नागौर लोकसभा सीट से साल 2019 में ज्योति मिर्धा को चुनावी मैदान में उतारा था।

ज्योति मिर्धा किसान नेता और कद्दावर कांग्रेसी जाट नेता स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा के परिवार से आती हैं। 2009 में नागौर से सांसद रही ज्योति मिर्धा को 2014 में बीजेपी के सीआर चौधरी ने और 2019 में एनडीए गठबंधन की तरफ से RLP प्रत्याशी रहे हनुमान बेनीवाल ने हराया था। लेकिन इस बार भाजपा नागौर सीट पर गठबंधन से इनकार कर चुकी है। यह पहले ही माना जा रहा था कि भाजपा नागौर से किसी बड़े चेहरे को शामिल कर सकती है। भाजपा का ये कदम विरोधी पार्टी कांग्रेस को तगड़ा झटका है। मिर्धा के भाजपा में आने से भाजपा को तो मजबूती मिली है लेकिन कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है।

ज्योति मिर्धा के अलावा आज उनके साथ सवाई सिंह भी बीजेपी में शमिल हो गए हैं। राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने ज्योति मिर्धा को सदस्यता दिलाते हुए पार्टी में उनका स्वागत किया।

ज्योति मिर्धा  नागौर से लगातार दो चुनाव हार चुकीं हैं 
आजादी के बाद से ही राजस्थान की राजनीति में मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। किसान जाट समुदाय में मिर्धा परिवार का होल्ड रहा है। हालांकि ज्योति मिर्धा  नागौर से लगातार दो चुनाव हार चुकीं हैं। कांग्रेस में वह साइडलाइन कर दी गई थीं और अबकी बार टिकट मिलने की उम्मीद भी नहीं थी। इसलिए बीजेपी से मिले ऑफर को उन्होंने तुरंत भुना लिया।

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