इन 3 राजनीतिक यात्राओं ने हिलायी थी भारत की सत्ता, क्या ‘भारत जोड़ो’ से होगी कांग्रेस की सत्तावापसी?

यह पहली बार नहीं है जब भारतीय राजनीति में कोई पदयात्रा या रथयात्रा कर रहा हो। हमारी राजनीति में यात्राएं जनसमर्थन हासिल करने का सटीक मंत्र रही हैं। इसका सबका उदाहरण गांधी की दांडी यात्रा।

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जयपुर: आज 7 सितंबर से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कांग्रेस की सत्तावापसी के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी कन्याकुमारी से कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ (Bharat Jodo) यात्रा शुरू की है। कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा 12 राज्यों से होकर गुजरते हुए करीब 3,500 किलोमीटर की दूरी तय करे करेंगे। यह यात्रा पांच महीनों तक चलेगी।

कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी आर्थिक विषमताओं, सामाजिक ध्रुवीकरण, राजनीतिक केंद्रीकरण की समस्याओं और विचारधाराओं की लड़ाई के रूप में यह रैली कर रहे हैं। पदयात्रा दो बैचों में चलेगी, एक सुबह 7-10:30 बजे से और दूसरी दोपहर 3:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक। जहां सुबह के सत्र में कम संख्या में प्रतिभागी शामिल होंगे, वहीं शाम के सत्र में सामूहिक लामबंदी होगी। औसतन रोजाना लगभग 22-23 किमी चलने की योजना है।

यह पहली बार नहीं है जब भारतीय राजनीति में कोई पदयात्रा या रथयात्रा कर रहा हो। हमारी राजनीति में यात्राएं जनसमर्थन हासिल करने का सटीक मंत्र रही हैं। इसका सबका उदाहरण गांधी की दांडी यात्रा। अभी तक राजनीतिक यात्राओं ने देश की सत्ता को हिलाने का काम किया। अब देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी के लिए भारत जोड़ो यात्रा कितनी सफल होती है यह आगे का समय बतायेगा। फिलहाल..एक नजर भारत की उन चर्चित राजनीतिक यात्राओं पर जिसने बदली तस्वीर…

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पूर्व पीएम चंद्रशेखर की पद यात्रा
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने भी पदयात्रा की थी। चंद्रशेखर के पदयात्रा के ऐलान के बाद उनकी पार्टी के नेताओं सहित कई लोगों ने मजाक उड़ाया था। जिस समय उन्होंने पद यात्रा का ऐलान किया था, उस समय वह सिर्फ अपनी पार्टी के अध्यक्ष थे। चंद्रशेखर की पदयात्रा पानी, कुपोषण, स्वास्थ्य जैसे पांच मुद्दों को लेकर रही। अपनी पदयात्रा के पांच साल बाद ही चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने। जिन मुद्दों को लेकर चंद्रशेखर ने पदयात्रा की थी। वें मुद्दे आज भी देश की राजनीति में प्रासंगिक हैं।

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लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा
1990 में बीजेपी के लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक के लिए रथयात्रा की शुरूआत की। आडवाणी की रथयात्रा 9 राज्यों से होते हुए कुल 10 हजार किमी की दूरी तय की थी। रथयात्रा के दौरान बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि लाल कृष्ण आडवाणी के बिना ही कारसेवक अयोध्या पहुंचे। उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। अयोध्या में कारसेवकों पर अंधाधुंध गोली चलवा दिया गया। कारसेवकों पर गोली चलाने का नतीजा यह रहा है कि देश में हिंदू-मुस्लिम एकता के बीच खाई पैदा हो गई। बीजेपी हिंदुत्व के दम पर उस समय देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

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जगमोहन रेड्डी की संकल्प यात्रा
राजनीति में जगमोहन रेड्डी की प्रजा संकल्प यात्रा काफी चर्चित रही। 2009 में जगमोहन रेड्डी के पिता वाई. एस राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद कांग्रेस ने जगमोहन को मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया था। इसी के बाद जगमोहन ने वाई. एस. आर कांग्रेस के नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू की। आंध्र प्रदेश में लंबे समय तक कांग्रेस और टीडीपी की सरकार से परेशान जनता से एक मौका देने की अपील की।

इसी को देखते हुए जगमोहन की अगुवाई में 6 नवबंर 2017 को आंध्रप्रदेश के कडप्पा जिले से यात्रा शुरू हुई। 430 दिनों में 13 जिलों में 125 विधानसभा क्षेत्रों से होकर यात्रा गुजरी। जगमोहन की इस राजनीतिक यात्रा का नतीजा यह रहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव में राज्य की 25 में से 22 सीटों पर वाई. एस. आर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। जबकि विधानसभा चुनाव में 175 में से 152 सीट हासिल करके जगमोहन ने सरकार बनाई।

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