हाल ही में अमेरिका से 270 भारतीयों को एक विशेष विमान से अमृतसर लाया गया था। एक बार फिर अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर III करीब 119 भारतीय नागरिकों को लेकर 16 फरवरी को अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा। यह दूसरी बार होगा, जब डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद भारतीयों को निर्वासित किया जाएगा।
इससे पहले, अमेरिका का एक सैन्य विमान भारत के विभिन्न राज्यों के 104 ‘अवैध प्रवासियों’ को लेकर अमृतसर पहुंचा था। जिनमें ज्यादातर पंजाब के लोग थे। इस पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे पंजाबियों को अवैध प्रवासी साबित करने की ‘साजिश’ करार दिया है।
ट्रंप प्रशासन ने भारतीयों को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर एक सैन्य विमान से उनके देश वापस भेजा था, जिससे भारत में आक्रोश फैल गया था। अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन ने इस व्यवहार का बचाव करते हुए कहा है कि यह एक मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग निर्वासितों को ले जाने वाली उड़ानों में किया जाता है ताकि लोग भागने या कोई बाधा पैदा की कोशिश न कर सकें। हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि यह तरीका विशेषकर उन व्यक्तियों के लिए अमानवीय है, जिन्होंने आव्रजन के नियमों के उल्लंघन के अलावा कोई अपराध नहीं किया है।
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अब यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग ले चुका है। विपक्षी दलों ने भी इस पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। कांग्रेस और अकाली दल ने भी इस विषय पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, अमेरिका ने अवैध रूप से वहां रहने वाले 270 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट कर दिया, जिन्हें अमृतसर लाया गया। इनमें से अधिकांश पंजाब के निवासी बताए जा रहे हैं। यह खबर सामने आते ही इस पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। सीएम भगवंत मान ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पंजाबियों को जबरन अवैध प्रवासी दिखाने की कोशिश की जा रही है, जबकि सच्चाई यह है कि विदेशों में बसे पंजाबी अपनी मेहनत और काबिलियत से नाम कमा रहे हैं। उन्होंने इस पूरी घटना की जांच की मांग की है और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
बता दें, अमेरिका के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जब तक सभी ‘अवैध प्रवासियों’ को उनके देश वापस नहीं भेज दिया जाता, तब तक निर्वासन की प्रक्रिया जारी रहेगी। सूत्रों के अनुसार, निर्वासित लोगों में पंजाब के 67, हरियाणा के 33, गुजरात के आठ, उत्तर प्रदेश के तीन, राजस्थान और महाराष्ट्र के दो-दो तथा जम्मू-कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश का एक-एक व्यक्ति शामिल है।
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सीएम मान का क्या कहना है?
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “यह एक सोची-समझी साजिश लगती है। विदेशों में बसे पंजाबी लोग वहां की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं। लेकिन उन्हें अवैध प्रवासी साबित करना निंदनीय है।” उन्होंने आगे कहा कि पंजाब के युवा बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश जाते हैं, लेकिन अगर उन्हें वहां समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो यह चिंता का विषय है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले में दखल देने और सही तथ्यों को उजागर करने की अपील की।
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