पब्लिक रिलेशन्स कंसल्टेंट्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया के स्टेट आॅफ इंडस्ट्री सर्वे के अनुसार, 2020 तक पब्लिक रिलेशंस इंडस्ट्री 19 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ 2100 करोड़ की होगी। ग्रोथ की इस रफ्तार ने इस क्षेत्र में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ाई है। लेकिन चुनौती यह है कि अब सिर्फ डिग्री या कम्यूनिकेशन स्किल्स के भरोसे इस फील्ड में कामयाबी हासिल नहीं की जा सकती।
रिपोर्ट के अनुसार, अब पब्लिक रिलेशंस में काम करने का तरीका और टूल दोनों पूरी तरह बदल चुके हैं। पिछले कुछ सालों में पीआर फर्म्स की 25 प्रतिशत से ज्यादा आमदनी डिजिटल, सोशल मीडिया व कंटेंट आधारित कैंपेन से हुई है। इससे पहले तक यह आय वर्चुअल मीडिया की जगह ट्रेडिशनल मीडिया जैसे अखबार और न्यूज चैनल्स पर ज्यादा निर्भर थी।
जाहिर है कि अब पीआर प्रोफेशनल्स के सामने परंपरागत मीडिया के साथ ही न्यू मीडिया से खुद को अपडेट रखने की चुनौती भी आ चुकी है। इसके साथ ही देश में लगातार बढ़ रहे मोबाइल व इंटरनेट के इस्तेमाल ने भी इमेज मेकिंग के काम को ज्यादा मुश्किल बनाया है। इतना ही नहीं फेक न्यूज और पेड न्यूज ने भी पीआर को ज्यादा प्रोफेशनल और इनोवेटिव होने के लिए विवश किया है। ऐसे में इस फील्ड से जुड़े इन ट्रेंड्स को जानना इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में आपकी मदद कर सकता है।
प्रेस रिलीज गुजरे वक्त की बात है
ज्यादातर पीआर प्रोफेशनल्स अपने क्लाइंट की इमेज के लिए अभी तक प्रेस रिलीज का सहारा लेते आए हैं। लेकिन असल में प्रेस रिलीज पीआर का सबसे बेसिक टूल है। पिछले कुछ सालों में इस टूल का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया गया है जिससे इसने अपना असर खो दिया है। मीडिया संस्थान अब संबंधित खबर के इनपुट्स के लिए अपने रिपोर्टर पर निर्भर रहते हैं।
रियल टाइम पीआर
अब खबरें तुरंत पैदा होती हैं और खत्म भी हो जाती हैं। सुबह के अखबारों की ज्यादातर खबरें पढ़ी जा चुकी होती हैं और अपनी रीडिंग वैल्यू खत्म कर चुकी होती हैं। ऐसे में पीआर पर्सन्स को रियल टाइम मीडिया के लिए काम करना होता है। यही वजह है कि ऐसे प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ रही है, जो खबर को रियल टाइम में कवरेज दिलवा सकें।
वीडियो कंटेंट की ताकत
आने वाले समय में वीडियो ही पीआर का मुख्य टूल बनने वाला है। क्विक स्प्राउट के एक सर्वे के मुताबिक एक व्यक्ति हर महीने 32 वीडियो तक देखता है, यानि रोज एक से ज्यादा। इसी तरह किसी प्रॉडक्ट के मामले में उसकी समझ वीडियो देखने पर 74 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। आने वाले समय में इमेज और स्लाइड शो भी पीआर में अपनी खास पहचान बनाने वाले हैं।
कंटेंट एम्प्लीफिकेशन के नए तरीके
पीआर कंपनियां अब कंटेंट पर काम करने के साथ ही उसे तेजी से प्रसारित करने के लिए भी नए तरीके अपना रही हैं। उदाहरण के तौर पर वे अपने ब्रांड की पहुंच बढ़ाने के लिए कंटेंट एम्प्लीफिकेशन टूल्स जैसे बफर एप, हूट सुइट, प्रमोटेड ट्वीट्स, फेसबुक एड्स, पीआर न्यूज वायर इंडिया का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि सोशल मीडिया पर कंटेंट को प्रमोट किया जा सके।
नॉलेज का मजबूत आधार
स्किल्स की बात करें तो अब सफल पीआर प्रोफेशनल बनने के लिए सिर्फ अच्छी राइटिंग स्किल्स से काम नहीं चलेगा। डिग्री के अलावा काॅर्पोरेट कम्यूनिकेशन, सोशल मीडिया एक्सपर्ट, कंटेंट राइटिंग और ईवेंट मैनेजमेंट की संतुलित जानकारी एक पीआर प्रोफेशनल के लिए जरूरी है।
थॉट लीडर्स
थाॅट लीडर का अर्थ क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञों से है। ज्यादातर पीआर फर्म्स अपने क्लाइंट की जरूरत के मुताबिक इन थाॅट लीडर्स को हायर करती हैं और संबंधित कंपनी के प्रॉडक्ट या सर्विस का रिव्यू करवाती हैं, जो ज्यादा विश्वसनीय और उपयोगी होते हैं।
डेटा पर फोकस
बीते कुछ सालों में कंटेंट विद डेटा का प्रचलन बढ़ा है। बिना डेटा के कंटेंट की विश्वसनीयता पर अक्सर सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में कंपनियां ज्यादा से ज्यादा डेटा के साथ पीआर की बेहतरी पर काम कर रही हैं। डेटा के इस्तेमाल की ट्रेनिंग भी पीआर प्रोफेशनल्स को दी जा रही है व डेटा एनालिस्ट जैसे पद भी पीआर कंपनियों में अब जरूरी हो गए हैं।
माइक्रो एडवरटाइजिंग
अभी तक इस काॅन्सेप्ट पर उन छोटे देशों में काम किया जाता रहा है जिनमें जनसंख्या बहुत कम होती है, लेकिन अब इसे भारत जैसे बड़े देश में भी आजमाया जाने लगा है। इसके मुताबिक किसी छोटी जगह पर बहुत छोटे से आयोजन या प्रकाशन में अपनी बात इस तरह पहुंचाई जाती है कि वह उस आयोजन या पब्लिकेशन का हिस्सा लगे न कि एडवरटाइजिंग। ऐसे प्रॉडक्ट या सर्विस को लोग बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनाते हैं।
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