PUBG हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। मां साधना सिंह (PUBG Sadhna Murder Case) की हत्या के पीछे PUBG गेम नहीं ब्लकि लखनऊ के एक बिल्डर के साथ अवैध संबंध थे। साधना के मर्डर के बाद बिल्डर पर आंच न आए, इसके लिए पुलिस ने PUBG की थ्योरी बना डाली। इस पूरी घटनाक्रम का खुलासा परिवार के एक सदस्य ने की। उन्होंने कहा, बाल सुधार गृह में आरोपी बेटे से मुलाकात में बताया कि बेटा एक बड़े बिल्डर के घर में आने-जाने से परेशान था। जिससे पुलिस छुपाना चाहती थी। इसलिए PUBG की कहानी दुनिया में बता डाली।
मां साधना के अवैध संबंधों के बारें में बेटे ने पिता नवीन को फोन करके सारी बात बताई। एक रिकॉर्डिंग भी उन्हें बतौर सबूत भेजी। ये वो घटनाक्रम था। जहां से पिता और मां के बीच झगड़े शुरू हुए। पिता नवीन के पूछे सवालों पर मां साधना जवाब नहीं दे पा रहीं थी।
कब से थी हत्या की प्लानिंग-
इस हत्याकांड की जमीन एक साल पहले तैयार हुई थी। मामले की हकीकत जानने के लिए नवीन ने कुछ महीने पहले बेटे और बेटी को एक रिश्तेदार के घर भेज दिया। साधना को अंदाजा नहीं हुआ कि ये उसकी परीक्षा चल रही है। बच्चों के जाने के बाद उसने उसी शाम बिल्डर को डिनर पर बुला लिया। रात में बिल्डर साधना के साथ ही रुका। साधना इस बात से बेखबर थी कि उस पर बेटे और पति दोनों की नजर है। इस वाकये के बाद साधना और नवीन के रिश्तों में दीवार खड़ी हो गई। बेटे के दिल में नफरत और बढ़ गई।
मां ने किए थे बेटे पर जुल्म:
निजी जिंदगी में बेटे का दखल और उसकी वजह से पति से दूरियां साधना को बर्दाश्त नहीं हुईं। वो बेटे को घर में नौकर की तरह रखने लगी। झाड़ू, पोछा से लेकर कपड़े साफ करने तक का बोझ बेटे पर डाल दिया। बेटा सब कुछ झेलता रहा, क्योंकि पिता नवीन की पोस्टिंग बहुत दूर आसनसोल में थी। मां की ये हरकतें बेटे के दिल मे नफरत भरती गईं। बेटा यह सब पिता को फोन पर बताता रहा।
बेटे ने कहा, ‘3 जून को मां ने मुझे बहुत मारा था। मैंने पापा को फोन करके बताया। उसी दिन मैंने सोच लिया था कि मां को जिंदा नहीं रहना चाहिए। मैंने पापा को ये सब बताया। उन्होंने कुछ नहीं करने के लिए कहा। मैंने 4 जून की शाम तक उनका इंतजार किया। शाम को पापा का फोन आया। उन्होंने बताया कि ट्रेन का टिकट ही नहीं मिला। उसी रात मैंने मां के सिर में गोली मार दी।’
पिता ने सीखाया था पिस्टल चाना-
मुलाकात करने पहुंचे रिश्तेदार ने जब बेटे से पूछा, ‘पिस्टल चलाना कैसे सीखा?’ उसने जवाब दिया, ‘कुछ साल पहले पापा की पोस्टिंग राजस्थान में थी। तब सब वहीं रहते थे। हमारे क्वार्टर के पास फायरिंग रेंज थी। हर रोज रिहर्सल होता था। मैं फौजियों को गोली चलाते देखता था। जब हम लखनऊ आए तो पापा ने पिस्टल चलाना सिखाया था।’
ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।