बर्लिन: तस्वीर जर्मनी के 12 हजार साल पुराने हम्बख जंगल की है। इसका मालिकाना साल 2040 तक माइनिंग कंपनी आरडब्ल्यूई के पास है। वो ब्राउन कोल निकालने के लिए 1978 से जंगल की कटाई कर रही है। इस जंगल को बचाने के लिए गांव के लोगों का कंपनी से संघर्ष चल रहा है।
छह साल से 150 से ज्यादा लोग पेड़ों पर घर बनाकर रह रहे हैं। पुलिस ने बीते बुधवार को इन्हें खदेड़ दिया। इसके विरोध में रविवार को हजारों लोग यहां पहुंच गए। इन्होंने फिर से पेड़ों पर आशियाना बना लिया है। लोग सरकार से कंपनी का एग्रीमेंट खत्म करने की मांग कर रहे हैं। कंपनी का कहना है कि कोल इंड्रस्टी को बंद करने से 21 हजार लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
जर्मनी में निजी हाथों में 80% जंगल; 40 साल में 10 लाख हेक्टेयर जंगल बढ़े
जर्मनी में जंगल के रखरखाव का तरीका दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है। यहां 80% जंगल निजी हाथों में हैं। लोग चाहें तो इसे काट सकते हैं। बावजूद इसके यहां जंगल बढ़ रहे हैं। क्योंकि यहां एक-एक पेड़ की निगरानी की जाती है। कमजोर पेड़ को काट दिया जाता है। बेशकीमती जंगलों में ज्यादा पौधे लगाए जाते हैं। पिछले 40 सालों में जर्मनी में 10 लाख हेक्टेयर जंगल ज्यादा हो गया है।
-हम्बख जंगल 80 वर्ग किमी में है। यहां सबसे ज्यादा ब्राउन कोल पाया जाता है। ये दुनिया का सबसे प्रदूषित जीवाश्म में से एक है।
-कंपनी 247 एकड़ जंगल काटना चाहती है। 80% से ज्यादा जंगल खत्म हो चुका है। 40 साल में 1.5 लाख लोगों को घर छोड़ना पड़ा है।
-हम्बख जंगल कोलोन और आचेन के बीच है। यह करीब 12 हजार साल पुराना है। यहां 142 तरह की पक्षियों का बसेरा है।
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