नया साल बस आने वाला है, अब हम 2018 की अच्छी-बुरी यादों के साथ 2019 में प्रवेश करने वाले हैं, ऐसे में कई ज्योतिषयों और भविष्य वक्ताओं ने कई भविष्यवाणी की है। जिसमें उन्होंने कहा की, मानवता यानी हम इंसानों के लिए साल 2019 कुछ शुभ नहीं है। ये साल बड़ी-बड़ी त्रासदियों से घिरा हुआ है।
नए साल 2019 का शुरूआती महीना प्राकृतिक आपदाओं से भरा हो सकता है। वैश्विक स्तर पर उत्तरी गोलार्ध में बड़े भूकंप आने की आशंका है। ज्वालामुखी सक्रिय हो सकते हैं। समुद्र से उठने वाले चक्रवात भीषण हो सकते है। शीतलहर से मैदानी इलाके सिहर सकते हैं। कुल मिलाकर, नए साल का आगाज आकस्मिक आपदाओं की चुनौतियों से हो सकता है।
सौरमंडल में बड़ा बदलाव
केवल धरती पर ही नहीं बल्कि सौरमंडल में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जिसका असर धरती और हम पर भी पड़ सकता है। फ्रांसीसी भविष्यवेत्ता माइकल दि नास्त्रेदमस ने भी कहा था कि धरती और मानवता के लिए साल 2019 सही नहीं होगा। इस साल सौरमंडल के ग्रहों एवं अन्य परिवर्तनों का गहरा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है। कई ज्वारा भाटा निर्मित होंगे।
5 और 6 जनवरी को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा. हालांकि यह भारत में मान्य नहीं होगा। इसका दृश्यक्षेत्र पूर्वी एशिया के देश चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, उत्तरी कोरिया, उत्तर-पूर्वी रूस, मध्यवर्ती मंगोलिया, प्रशांत महासागर और अलास्का के पश्चिमी भाग रहेंगे। इसके प्रभाव से सघन सर्दी, चक्रवात, भूगर्भीय हलचल, ग्लेशियर्स पर असर और ज्वालामुखी सक्रिय होने की आशंका है. इस दौरान इन क्षेत्रों की यात्रा से बचने की कोशिश करें।
प्राकृति अपादाओं का सबसे बड़ा खतरा
कई ज्योतिषयों का कहना है कि एशिया के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भारत और चीन भी आते हैं। कर्क रेखा क्षेत्र में पाकिस्तान से लेकर अफ्रीका महाद्वीप के उत्तरी सीमांत देश, यूरोप के दक्षिणी सीमांत क्षेत्र और उत्तर-दक्षिण अमेरिका के संधि क्षेत्र आते हैं। इन भूभागों में इन प्राकृतिक घटनाओं की आशंका सर्वाधिक है।
21 जनवरी को कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र में खग्रास चंद्रग्रहण होगा। यह भी सूर्यग्रहण की भांति भारत में दृश्यमान नहीं होगा। यह सम्पूर्ण अफ्रीका, दक्षिणी-उत्तरी अमेरिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा. इसका गहरा प्रभाव दृश्यमान क्षेत्रों के अलावा सम्पूर्ण एशिया भूभाग सहित उत्तरी गोलार्ध के कर्क रेखा क्षेत्र में बड़े स्तर पर देखने को मिल सकता है।
इन क्षेत्रों में बड़े भूकम्पीय आशंका वाले क्षेत्र भी आते हैं। इनमें प्रमुखतः भारत सहित अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, म्यांमार, अफ्रीका-यूरोप के उत्तरी व दक्षिणी देश एवं अमरीकी महाद्वीपों के संधि क्षेत्र आते हैं।
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