Pocso Pending Case देश में पॉक्सो यानी यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून के 2 लाख 43 हजार मामले लंबित हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट में जनवरी 2023 तक पॉक्सो के लंबित मामलों की रिसर्च पब्लिश हुई है। इसी रिपोर्ट में ये दावा किया गया है।
रिपोर्ट इंडियन चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (ICPF) संस्था ने जारी की है। इस रिपोर्ट में कानून मंत्रालय, महिला-बाल विकास मंत्रालय और नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो (NCRB) का डेटा इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2023 तक 2 लाख 68 हजार 38 मामले रजिस्टर हुए थे, जिसमें से 8909 केस में ही सजा हुई।
जानकर हैरानी होगी कि 2022 में सिर्फ 3% मामलों में सजा हुई है। अगर कोई नया केस रिपोर्ट नहीं हुआ तो इन केस को निपटाने के लिए कोर्ट को 9 साल लगेंगे। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि हर फास्ट ट्रैक कोर्ट को हर चार महीने में 41-42 और हर साल 165 केस निपटाने थे, लेकिन हर साल सिर्फ 28 मामले ही निपट पाए।
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स्टडी में पता चला कि हर फास्ट ट्रैक कोर्ट को हर चार महीने में 41-42 और हर साल 165 केस निपटाने थे, लेकिन हर साल सिर्फ 28 मामले ही निपट पाए। आपको बता दें, केंद्र सरकार ने 2019 में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की योजना को आगे बढ़ाया था, जिसका उद्देश्य पॉक्सो के मामलों को एक साल में निपटाने का था। इसके लिए केंद्र ने 1900 करोड़ रुपए का बजट पास किया था।
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पेडिंग मामलों को निपटाने में कितना समय लगेगा?
इस रिपोर्ट के मुताबिक, बाल यौन शोषण पीडि़तों को न्याय देने के लिए फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतें स्थापित करने के केंद्र सरकार के फैसले और करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद देश की न्यायिक प्रणाली पर सवालिया निशान लगाया है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए अरुणाचल प्रदेश को पॉक्सो अधिनियम के तहत लंबित मामलों की सुनवाई पूरी करने में 30 साल लगेंगे, जबकि दिल्ली को लंबित मामलों की सुनवाई पूरी करने में 27 साल, बंगाल को 25 साल, मेघालय को 21 साल, बिहार को 26 साल और उत्तर प्रदेश को 22 साल लगेंगे। ( ध्यान दें- मौजूदा रफ्तार से अगर केस निपटे और नया केस नहीं आया तो लगभग ये आंकड़े सही होंगे)
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